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चौपाल कार्यक्रम का आयोजन, जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जिलाभर में घर -घर जाकर लोगों को किया जा रहा है जागरूक, 

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चौपाल कार्यक्रम का आयोजन,

जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए जिलाभर में घर -घर जाकर लोगों को किया जा रहा है जागरूक, 

मुंगेर। 

 जनसंख्या स्थिरीकरण अभियान को बढ़ावा देने और लोगों को परिवार नियोजन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से जिला भर में विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में मंगलवार को धरहरा प्रखण्ड के महगामा पंचायत अंतर्गत महादलित टोला के खराट मुसहरी में सहयोगी संस्था पीसीआई के सहयोग से जिला कार्यक्रम प्रबंधक नसीम रजि और जिला सामुदायिक उत्प्रेरक निखिल राज की  उपस्थिति में सड़क पर ही चौपाल लगाया गया । इसमें  लोगों को परिवार नियोजन के साधन अपनाने के फायदे सहित शिशु और मातृ स्वास्थ्य से संबंधित कई आवश्यक जानकारियां दी गई। इसके साथ ही चौपाल में उपस्थित 3 या 3 से अधिक बच्चों के माता-पिता को बंध्याकरण और नसबंदी कराने के लिए प्रेरित किया गया। इस अवसर पर प्रखण्ड स्वास्थ्य प्रबंधक, प्रखण्ड सामुदायिक उत्प्रेरक, आशा कार्यकर्ता और आशा फैसिलिटेटर उपस्थित थीं। मालूम हो कि पूरे अभियान को सफल बनाने की जिम्मेदारी आशा कार्यकर्ताओं और आंगनबाड़ी सेविकाओं को दी गई है। जो शहरी एवम् ग्रामीण इलाकों में पुरुष और महिलाओं को परिवार नियोजन के साधनों के लिए प्रेरित कर रही हैं । 

किन्हें जागरूक करना है जरूरी : –

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम् नसीम रजि ने बताया कि जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए  सरकार ने पीएसआई इंडिया के सहयोग से जिला भर में सास-बहू बेटी सम्मेलन, चौपाल सहित कई अन्य कार्यक्रम करवाने का निर्णय लिया है। मंगलवार को धरहरा प्रखण्ड के महगामा पंचायत के गोविंदपुर गांव में महिलाओं के द्वारा एक मंदिर में आयोजित शिव चर्चा कार्यक्रम में परिवार नियोजन के महत्व पर चर्चा करते हुए 3 या 3 से अधिक बच्चों की माताओं और उनकी मां या सास को बंध्याकरण करवाने के लिए प्रेरित किया गया। इस अवसर पर उपस्थित महिलाओं ने प्रण लिया कि वो लोग अपने गांव में अभियान चलाकर 3 या 3 से अधिक बच्चों की माताओं का बंध्याकरण करवाएगी।

उन्होंने बताया कि विभिन्न गतिविधियों के माध्यमों से सास- बहू में सामंजस्य स्थापित करते हुए परिवार नियोजन अभियान को बल दिया जा सकेगा। इसके लिए एक साथ परिवार के दोनों सदस्यों को जागरूक करना जरूरी है। ऐसा इसलिए किया जा रहा है कि मध्यम परिवारों में विशेषकर ग्रामीण इलाकों में सास और बहू  के विचारों में मतभेद होता है। इसलिए एक मंच पर दोनों को लेकर परिवार नियोजन के फायदों को समझाने से दोनों में इस पर सहमति बन सकती है। वहीं, जिन सास बहुओं में आपसी समझ और परस्पर सामंजस्य है, उनको पुरस्कृत करके लोगों को संदेश भी दिया जा रहा है। 

जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी निखिल राज ने बताया पहले लोग परिवार नियोजन के प्रति जागरूक नहीं थे। , वे इसे गलत मानते थे। इस प्रकार के कार्यक्रम से न सिर्फ लोग परिवार नियोजन के लिए जागरूक हो रहे हैं, बल्कि समाज में व्याप्त बहू और बेटियों के बीच फर्क है, उसे भी दूर किया जा सकेगा। चौपाल कार्यक्रम में बच्चे दो ही अच्छे स्लोगन के माध्यम से सास-बहू को जागरूक किया जा रहा और छोटे परिवार के महत्व की जानकारी दी जा रही है।

चौपाल के फायदे :-

उन्होंने बताया कि चौपाल और शिव चर्चा कार्यक्रम में भाग ले रही सभी महिलाओं को परिवार नियोजन के लिए अपनाए जाने वाले साधन एवम् जनसंख्या स्थिरीकरण के विभिन्न आयामों की जानकारी दी गई। इसके साथ ही पुरुषों को भी परिवार नियोजन के स्थायी साधनों के प्रति रूझान  पैदा करने की भी कोशिश की गई। सम्मेलन में शामिल सभी महिलाओं को परिवार नियोजन के स्थायी और अस्थायी साधन व उसके फायदों की विस्तृत जानकारी भी दी गई। कार्यक्रम में उपस्थित महिलाओं को यह भी बताया गया कि लड़का व लड़की की शादी की सही उम्र क्या है। किस उम्र में शादी के बाद पहला बच्चा हो और शादी के दूसरे बच्चे में कम से कम तीन साल का अंतर हो। यह सिर्फ जनसंख्या स्थिरीकरण के लिए ही नहीं है, इन सब से मां और बच्चे दोनों का स्वास्थ्य भी ठीक रहेगा। वहीं छोटा परिवार, सुखी परिवार की नींव भी रखी जा सकेगी। तभी हम सभी गुणवत्तापूर्ण जिंदगी जी सकते हैं और बच्चे को उचित परवरिश व अच्छी शिक्षा दे सकते हैं।

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