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प्रेमचंद्र जयंती समारोह सह कवि गोष्ठी का आयोजन, सुन सुन सखी कुछ कहलो ना जाय गे, धरती के अचरा फटी गेलै दाय गे… : डॉ. महेश चंद्र,

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प्रेमचंद्र जयंती समारोह सह कवि गोष्ठी का आयोजन,

सुन सुन सखी कुछ कहलो ना जाय गे, धरती के अचरा फटी गेलै दाय गे… : डॉ. महेश चंद्र,

 हवेली खड़गपुर।

जागृति मंच के तत्वाधान में नगर के सितुहार ग्राम स्थित अधिवक्ता जितेंद्र कुमार सिंह के आवास पर प्रेमचंद्र की जयंती पर सम्मान समारोह सह कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता स्थानीय जाने-माने कवि ज्योतिष चंद्र ने की तथा संचालन बरियारपुर के कवि शशि आनंद अलबेला कर रहे थे।  मुख्य वक्ता दलसिंहसराय आरबी कॉलेज के सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. महेश चंद्र चौरसिया को कवि ज्योतिष चंद्र ने अंग वस्त्र भेंट कर सम्मानित किया। 

सेवानिवृत्त प्राचार्य डॉ. महेश चंद्र चौरसिया ने प्रेमचंद्र की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए उन्हें जनता का कथाकार बताया।  उन्होंने कहा कि उनके साहित्य का केंद्र भारतीय कृषि संस्कृति रही है। उन्होंने अपने उद्बोधन में एक गीत सुन सुन सखी कुछ कहलो ना जाय गे, धरती के अचरा फटी गेलै दाय गे…प्रस्तुति कर ग्रामीण परिवेश को उद्धृत किया। मुख्य अतिथि कवि संजीव प्रियदर्शी ने अपने पिता के श्रद्धांजलि में प्रस्तुत  मेरे अच्छे बाबूजी… काव्य पाठ किया। राजकिशोर केशरी ने खिड़कियां गवाह है / मां और पत्नी से ज्यादा/ खिड़की पर इंतजार करती है / जवान बेटियां / नशे में धुत पिता के कुशल घर लौट आने की….’ सुना कर बिहार में शराबबंदी के बाद भी जो हालात हैं, उसे दर्शाने की कोशिश की। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे कवि ज्योतिष चंद्र ने ‘यह लावारिस झुग्गियां मजार है साहब, इनसे कितनी हस्तियां गुलजार है साहब…’ सुनाकर खूब वाहवाही बटोरी।कवि नागेश्वर नागमणि ने महंगाई की चर्चा करते हुए कुछ यूं सुनाया ‘महंगाई भूख, बेकारी और मिला है दंगा, शहीदों के खून से लथपथ पड़ा तिरंगा… को श्रोताओं ने काफी सराहा। युवा कवि प्रदीप पाल ने कहा कि ‘वही है शोभित  वही है वंदित वही है स्वीकृत वही है, जिसके माद्दा में तनी रहती है गुलेल हर भय के विरुद्ध होकर…’। संचालक शशि आनंद अलवेला  ने  ‘विरासत की चादर खानदानी खो गई, थी पुरखों की पुरानी जो निशानी खो गई….’ सुनाया।  इनके अलावा अधिवक्ता जितेंद्र कुमार, सुभाष चंद्र शाह, दिनकर कुमार, अनिल गोस्वामी, वैद्य पुरुषोत्तम शास्त्री, अधिवक्ता केएम झा ने भी काव्य पाठ प्रस्तुत कर श्रोताओं का मन मोह लिया।  

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