विश्व दिव्यांग दिवस आज : सामाजिक क्षेत्र में मुंगेर के दिव्यांग आमिर उल इस्लाम ने बनाई पहचान,
मुंगेर।
विश्व दिव्यांग दिवस 2021 के लिए ”पूर्ण सहभागिता और समानता” की थीम का चुनाव किया गया है। विश्व दिव्यांग दिवस का उद्देश्य समाज के सभी क्षेत्रों में दिव्यांगों के अधिकारों और कल्याण को बढ़ावा देना है। इसके अलावा राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक जीवन के हर पहलू में दिव्यांग व्यक्तियों की स्थिति के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। मुंगेर के 90 प्रतिशत दिव्यांग आमिर उल इस्लाम जो दोनों पैर पोलियो की बीमारी की वजह से कमजोर है, ने सामाजिक क्षेत्र में अपनी पहचान बनाई है और अपनी कड़ी मेहनत और लगन के कारण मुंगेर जिला वासियों के दिलों पर राज करते हैं।
शिक्षा के प्रति जागरूक दिव्यांग अमीर आलम अंसारी ने अपनी दिव्यांगता की वजह से कभी स्कूल कॉलेज ना जाने के बावजूद भी सेकंड डिवीजन से प्राइवेट से मैट्रिक तक की शिक्षा ग्रहण किया है।

क्रिकेट कॉमेंट्री से मिली पहचान :- उन्होंने बताया कि उन्हें जीवन में भगवान की कई परीक्षाओं से गुजारना पड़ा दिव्यांगता के बीच पिताजी, उसके बाद बड़े भाई, फिर बहन को दुनिया से रुखसत हो जाना उदास किया। बावजूद उसके पॉकेट खर्च के लिए उन्होंने मोबाइल नंबर एकत्रित कर टेलीकॉलिंग के माध्यम से प्रचार प्रसार का कार्य शुरू किया पर उन्हें क्रिकेटर उद्घोषक एवं कवि के रूप पहचान मिली।आमिर ने एक मजबूत सोच के साथ पिछले 10 सालों से समाज के लिए बेहतरीन योगदान दे रहे हैं। वे रोजाना 50 से भी अधिक लोगों तक हर घर से भोजन एकत्रित कर जरूरतमंदों तक पहुंचाना, खुद रक्तदान करना और रक्तदान के लिए लोगों को भी जागरुक कर अद्भुत कार्य कर रहे हैं। आमिर गरीब बच्चों को निशुल्क शिक्षा, पुराने कपड़े के माध्यम से जरूरतमंदों तक कपड़े पहुंचाना, सर्दी में कंबल, फेस्टिवल्स में कपड़ेें, गरीब बेटियों की शादी में लोगों की मदद से आर्थिक सहयोग, बीमार को इलाज के लिए सहयोग एवं मानवीय कार्य मैं रुचि से, उन्हें एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप मैं जिले में पहचान मिली है। वे जॉब प्लेसमेंट यथा स्कूल में शिक्षक, गार्ड, दुकान में काम करने वाला स्टाफ, ड्राइवर, ट्यूशन पढ़ाने वाला, राजमिस्त्री, पलंबर मिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन को काम दिलाने में भी सहयोग करते हैं।
समाज एवं राष्ट्र के लिए समर्पित आमिर उल इस्लाम के कार्यों से खुश होकर शिक्षिका रुखसार फातमा ने उन्हें ना केवल जीवनसाथी बनाया वल्कि निकाह के बाद उनके कार्यों में भी भरपूर सहयोग करती है और कदम से कदम मिलाकर दोनों समाज के लिए अतुलनीय योगदान दे रहे हैं इनके जज्बे को देखकर जिले के हर निवासियों के जुवांओं पर इनकी चर्चा होती है।
आमिर उल इस्लाम कहते हैं कि लोगों का प्यार पाकर वह कभी अपने आप को दिव्यांग महसूस नहीं करते हैं। मेरा सारा काम राष्ट्र एवं समाज के प्रति समर्पित है और मेरे अंदर से एक सुखद एहसास एवं जय हिंद जैसी भावना पैदा होती है।