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लोक रंग से सराबोर रहा ‘सृजन संसार’ का ‘माटी के रंग लोकगीतों के संग’ कार्यक्रम,

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“खनके खनके कंगनमा अंगनमा में
मोर पियवा ना आये सवनमा में “

लोक रंग से सराबोर रहा ‘सृजन संसार’ का ‘माटी के रंग लोकगीतों के संग’ कार्यक्रम,

रांची।
”सृजन संसार”साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच ,रांची द्वारा आज गूगल मीट के माध्यम से ‘माटी के रंग लोकगीतों के संग’ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया ।इसमें दर्जनों कलाकारों ने हिस्सा लिया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता तथा मंच संचालन सीमा सिन्हा ‘मैत्री’ ने की। शुरुआत के पूर्व मंच के संरक्षक सुनील सिंह ‘बादल’ ने सभी कलाकारों को शुभकामनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि – लोकगीत हमारी धरोहर है। लोकगीतों को मात्र ग्रामगीत कहकर उनकी व्यापकता को कम नहीं किया जा सकता ।ये गीत अब गांव की चारदीवारी को छोड़ नगरों और महानगरों की सीमा को छू रहे हैं।

कार्यक्रम की शुरुआत मंच के अध्यक्ष कवि एवं लोक गायक सदानंद सिंह यादव द्वारा स्वरचित अंगिका गीत की प्रस्तुति- केना जल ढारे जइबै बाबा नगरी, लाॅकडाउन लगी गइलैय सगरी से हुई । नंदनी प्रणय ने -आज हूँ बदरा बोले ले सारी रात हो,
अईलें न साजन… किशोरी मिश्रा पाठक ने – शिव विवाह पर केंद्रित लोक गीत की प्रस्तुति कर कार्यक्रम में वाहवाही लूटी। दुर्गापुर बंगाल से जुड़ी बाल कलाकार अनुश्रीरंजन ने अपने लोकगीत की प्रस्तुति – खनके खनके कंगनवा,अंगनवा में ,मोरा पियवा ना आये सवनमा में की प्रस्तुति कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दी। इनके साथ तबला पर संगत रंजीत कुमार कर रहे थे। रेणु झा रेणुका ने आबी गेले सावन मास,
चलू पिया बाबा नगरिया। सूरज श्रीवास्तव ने भिखारी ठाकुर रचित एक कजरी गीत – सखिया सावन बहुत सुहावन मनभावन अइलन हे सुनाकर सभी को भावविभोर कर दिया। डॉ सुषमा केरकेट्टा ने अपने क्षेत्रीय भाषा नागपुरी में प्रस्तुति – सावन भादो आए गेलयं मोर पिया कहां गेलयं
मोर पिया गेलयं रे परदेस बसी गेलयं दी। पुष्पा पांडे ने कजरी- कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया, बदरिया घिर आई ननदी तो नीता शेखर ने -रिमझिम बरसे ला बदरिया सावन में ,विभा वर्मा वाची ने अपने कजरी की प्रस्तुति देते हुए -हरे रामा बरखा भईल मतवारी तो डॉक्टर रजनी शर्मा चंदा ने -सावन मे बोले छे कोयलिया त मनमा में हूंक उठैय सजनी की प्रस्तुति दी। मुनमुन ढाली ने अपनी बांग्ला में एक गीत- शदेर लाऊ बनाइलो मोरे बोइरागी .. सुनायी। कल्याणी झा कनक ने -मिथिला में नचारी गीत -बाबा बैजनाथ हम आयल छी भिखरिया, बाबा के दुअरिया ना ।तो कार्यक्रम की अध्यक्षता व मंच संचालन कर रही सीमा सिन्हा मैत्री ने- पुरुबवा के ओरी मोर गांव रे
बहे एक नदिया ओही मोरे ठांव रे की शानदार प्रस्तुति दी। अंत में धन्यवाद ज्ञापन सदानंद सिंह यादव ने किया।

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