आस्था मुंगेर

और दादा व पिता की गोद में सो गए हजरत मौलाना वली रहमानी,राजकिय सम्मान के साथ सुपुर्दे खाक हुए इमारते शरिया के अमीरे शरीयत सह सज्जादा नशि खानकाह रहमानी, 
खानकाह परिसर में ही उन्हें दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर, दो लाख से अधिक लोगो ने उनके जनाजे की अदा की नमाज, 

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और दादा व पिता की गोद में सो गए हजरत मौलाना वली रहमानी,राजकिय सम्मान के साथ सुपुर्दे खाक हुए इमारते शरिया के अमीरे शरीयत सह सज्जादा नशि खानकाह रहमानी, 
खानकाह परिसर में ही उन्हें दिया गया गार्ड ऑफ ऑनर, दो लाख से अधिक लोगो ने उनके जनाजे की अदा की नमाज, 
 मुंगेर।बिहार ने आज एक और बड़ी शख्सियत को खो दिया, जी हां हम बात कर रहे है हजरत मौलाना शैयद वली रहमानी की जो इंसानियत और भाईचारे की बेशकीमती मिशाल थे। वे भारत के मुसलमानों के ही नेता नहीं थे, बल्कि भारत के सभी धर्म व जाति के लोगों के रहनुमा थे। वली रहमानी साहब मुंगेर खानकाह रहमानी के सज्जादा नशि सह बिहार ,झारखण्ड, एवं उड़ीसा के इमारते शरिया के अमीरे शरीयत थे। 3 मार्च को पटना के एक निजी नर्सिंग होम में उनकी मृतयु हो गई। उनके मौत के बाद बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राजकीय सम्मान के साथ उनके अंतिम संस्कार किए जाने की घोषणा की थी, जिसके बाद मुंगेर जिला प्रशासन राजकीय सम्मान की तैयारी में जुट गया था। देर रात उनका पार्थिव शरीर मुंगेर खानकाह रहमानी पहुंचा। उनका जनाजा मुंगेर पहुंचने के बाद उनका आखरी ज्यारत (अंतिम दर्शन) करने के लिए लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी, लोगो की आस्था के सामने कोरोना संक्रमण का गाइडलाइन फीका पड़ गया।हजरत वली रहमानी के जनाजे कि नमाज खानकाह परिसर में अदा की गई। उन्हें वही दफनाया गया जहां उनके दादा और पिता को दफनाया गया था।  हजरत वली रहमानी के जनाजे कि नमाज उनके बड़े बेटे मौलाना मो.फैसल रहमानी सज्जादा नशि खानकाह रहमानी कि इजाजत पर मौलाना मो. उमरैण महफूज रहमानी खालिफा हजरत साहब अमीरे शरीयत सह ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव माले गांव महाराष्ट्र ने जनाजे की नमाज पढ़ाई। उनके जनाजे कि नमाज के पहले जिले के पुलिस अधीक्षक मानवजीत सिंह ढिल्लों व जिला पदाधिकारी रचना पाटिल ने पहले उनके जनाजे पर तिरंगा उढ़ाया। उसके बाद फूल  माला चढ़ाया, उसके बाद उन्हें राजकीय सम्मान दिया गया। उनके जनाजे में डीआईजी, एसपी, डीएम सहित विभिन्न राजनीतिक दलों के कार्यकर्ता सहित दो लाख से लोग अधिक लोग शामिल थे।


राजकीय सम्मान दिये जाने के दौरान जवानों का फंसा राइफल,डीआईजी, डीएम व एसपी मूक दर्शक बन देख रहे थे तमाशा, हहजरत साहब को राजकीय सम्मान दिये जाने के क्रम में जवानों का राइफल फंस गया फिर बाद में राइफल ठीक करके किसी तरह से 10 में से मात्र 4 राइफलों से सलामी दी गई और जिले के डीएम, एसपी मूक दर्शक बन तमाशा देख रहे थे। जहां एक ओर बिहार सरकार राज्य की सुरक्षा व्यवस्था पर विशेष खर्चा करती है पर दूसरी ओर मौके पर जवानों कि नाकाम राइफलें बिहार सरकार के सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोल कर रख दी है।

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