श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह यज्ञ :- सत्य क्या है हरिश्चंद्र के जीवन से सीखा जा सकता है : झम्मन शास्त्री,
हवेली खड़गपुर। श्रीमद् भागवत ज्ञान सप्ताह यज्ञ के चौथे दिन आचार्य पं. झम्मन शास्त्री महाराज ने कहा कि सत्य क्या है ? जानना है, तो राजा हरिश्चंद्र के जीवन से सीखा जा सकता है। सत्य के लिए उन्होंने अपना सब कुछ दाव पर लगा दिया। अपने पुत्र रोहित के अंतिम संस्कार के लिए अपनी पत्नी शिव्या ने शुल्क लिया, तब जाकर अंत्येष्टि की अनुमति दी। स्वर्ग से देवी-देवताओं ने फूल बरसाए और कहा कि सतयुग धन्य हैं, जो ऐसे राजा मिले। मर्यादा और स्वयं को समझना है, तो भगवान राम को आत्मसात करना होगा । उनके आदर्शों पर चलना होगा। उन्होंने कहा कि आज के राजा जिन्हें आप पार्षद, विधायक, सांसद कहते हैं, वे बिना किसी आदर्श, बिना किसी संघर्ष के केवल प्रलोभन के दम पर सत्तासीन हो जाते हैं। राजाराम ने राजगद्दी छोड़कर जंगल को इसी लिए स्वीकार किया क्योंकि वहां पर आसुरी शक्तियों का तांडव मचा हुआ था। आज के नेता एयर कंडीशन में रहते हैं। विपदा आपदा आने पर हेलीकॉप्टर से दौरा कर लेते हैं। यदि रामराज लाना है, तो सभी नेता मंत्रियों को पीड़ित जनता तक पहुंचना होगा। केवल मानस स्पर्धा से राम भगवान का आचरण खुद में समाहित नहीं किया जा सकता । घर में बच्चों को संस्कार दो कि कम से कम तुलसी रामायण का 5 दोहा प्रतिदिन पड़े और अर्थों को समझे। तब भगवान को समझ पाएंगे।। शिक्षा नीति में बदलाव की जरूरत।। उन्होंने कहा कि आज स्मार्टफोन ने व्यक्ति की बुद्धि को भ्रष्ट कर दिया है। भारत की शिक्षा नीति में बदलाव की जरूरत है, जो धर्म गुरु से ही सुधर सकता है । मुलुकटांड हवेली खडगपुर मुंगेर जिला में यहां पर सेवा सत्संग और संकीर्तन अविरल धारा रूप में बह रही है। देश की दशा चिंतनी हैं। विदेशी हमारी संस्कृति को अपनाने लगे हैं और हम परंपरा से दूर जा रहे हैं। राजा बली को अपने दानवीरता का अहंकार था। उन्हें वामन रूप में परमपिता नारायण नजर नहीं आ रहे थे। शुक्राचार्य को समझते देर नहीं लगी। बली को समझाते समझाते उनकी एक आंख की बलि देनी पड़ गई और तीन पग में बलि को अपना सब कुछ गवा ना पड़ गया। बली की विनम्रता काम आई। बिना आत्मज्ञान के ब्रह्म ज्ञान का लक्ष्य प्राप्त नहीं होता । झूठ और मिथ्या से परे रहकर ही ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है।
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