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दीया बुझा के उजाले कहां से पाओगे ना होगी बेटी तो किसको बहू बनाओगे …आयोजित काव्य गोष्ठी में कवि सरैयावी की रचना,

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दीया बुझा के उजाले कहां से पाओगे ना होगी बेटी तो किसको बहू बनाओगे …आयोजित काव्य गोष्ठी में कवि सरैयावी की रचना,

रांची। 

सृजन संसार साहित्यिक एवं सांस्कृतिक मंच रांची के तत्वावधान में ऑनलाइन गूगल मीट के माध्यम से मासिक काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। अध्यक्षता वरिष्ठ शायर नेहाल हुसैन  सरैयावी ने की।   मुख्य अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार दुर्गापुर बंगाल से  रंजीत कुमार तथा विशिष्ट अतिथि प्रयागराज उत्तर प्रदेश से वरिष्ठ साहित्यकार डॉ शिशिर सोमवंशी थे। कार्यक्रम का संयोजन  कवि एवं लोक गायक सदानंद सिंह यादव ने किया । कार्यक्रम की शुरुआत रूणा रश्मि ‘दीप्त’ द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना -“जय जय हे सरस्वती मां, जय जय वीणा वादिनी मां। तुमको कर दूं तन मन अर्पण । अर्पित मेरे श्रद्धा के सुमन से हुआ। तत्पश्चात मीनू मीना सिन्हा ‘मीनल’ ने सोन चिरैया शीर्षक द्वारा प्रस्तुत अपनी कविता में -“एक सोन चिरैया मखमली आंखों वाली, मत करो बंद पिंजरे में की प्रस्तुति दी। हजारीबाग से पुष्कर कुमार ‘पुष्प’ ने अपने ग़ज़ल की प्रस्तुति में अब नजर चार यूं ही नहीं करते, अब तेरी जुस्तजू  नहीं करते । रंजना वर्मा  ‘उन्मुक्त ‘ने – नमक पर कविता प्रस्तुत करते हुए कहीं- नमक के बिना जीवन कैसा लगे नहीं कुछ स्वाद हमारे लिए, नमक जरूरी वरना सब बेकार  वहीं पुष्पा सहाय ‘गिन्नी’ ने -जिंदगी कैसे पल में बदल जाती है ,कल की नन्ही बच्ची झट से बड़ी हो जाती है । कार्यक्रम का शानदार मंच संचालन कर रही  बिम्मी प्रसाद ‘वीणा’ ने अपनी रचना  -कहानी कविता की शीर्षक कविता  -यूं ही लहलहाती नहीं कविताओं की वादियां प्रस्तुत कर वाहवाही लूटी तो कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे  नेहाल हुसैन सरैयावी – दिया बुझा के उजाले कहाँ से पाओगे, ना होगी बेटी तो किसको बहु बनाओगे।  प्रस्तुत किए जमशेदपुर से बालकृष्णा आजम गढ़ी  ने मेरे सरगम को अपने स्वर दे जरा तथा एक भोजपुरी बिरह गीत -अंगना में हमरो बलमुआ बहे पुरवइया की प्रस्तुति दी । रेनू झा ने दहेज पर एक गीत प्रस्तुत कर कार्यक्रम में रौनक ला दी । सुधा कर्ण ने बेटी पर केंद्रित मेरे हाथों की मेहंदी निखर गई थी… की प्रस्तुति दी। रूणा रश्मि  दीप्त ने उत्सव शीर्षक से प्रस्तुति देते हुए  न्यारा अपना देश है ,उत्सव का भंडार , मिलजुल खुशियां बांटते…।  मुख्य अतिथि रंजीत कुमार ने सभी रचनाकारों  की प्रशंसा करते हुए यादें  शीर्षक की एक कविता तुम्हारी बातें तुम्हारी यादें जैसे  खुशबू भी बिखर गई हो की प्रस्तुति दी। करुणा सिंह कल्पना ने अपनी जमीन अपना आसमान खुद से ही रिश्ता जोड़ उसे प्रियतम बना तो रजनी शर्मा चंदा ने दर्द छिपाना हमने सीखा जख्मों के बाजार में  की प्रस्तुति देकर तालियां बटोरीं।  विशिष्ट अतिथि डॉक्टर शिशिर सोमवंशी ने अपनी एक संक्षिप्त रचना प्रस्तुत कर कार्यक्रम में वाहवाही लूटी। कवि एवं लोक गायक सदानंद सिंह यादव ने अपनी रचना दूर देश को जाने वाले  मीठे स्वर में गाने वाले  मौसम के हालात सुनो पंछी मेरी बात सुनो की प्रस्तुति दी । अंत में उन्होंने धन्यवाद ज्ञापन भी किया।

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