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ई राजभाषा संगोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन,
हिन्दी का विकास राष्ट्रीयता का विस्तार है : वीरेन्द्र,

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ई राजभाषा संगोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन,
हिन्दी का विकास राष्ट्रीयता का विस्तार है : वीरेन्द्र,
 मुंगेर।
जगदम्बी प्रसाद यादव स्मृति प्रतिष्ठान, वैश्विक हिन्दी सम्मेलन  एवं अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी परिषद् के संयुक्त तत्वावधान में हिन्दी दिवस के अवसर पर ई राजभाषा संगोष्ठी एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
 अध्यक्षता करते हुए हिन्दी सलाहकार समिति भारत सरकार के सदस्य सह अंतर्राष्ट्रीय हिन्दी परिषद् के अध्यक्ष वीरेन्द्र कुमार यादव ने कहा कि हिन्दी का विकास राष्ट्रीयता का विस्तार है, शिक्षा एवं समृद्धि का विस्तार है और हमारी संस्कृति का विस्तार है।

हम संकल्प हिन्दी की लेते हैं, विकल्प अंग्रेजी में ढूंढते हैं। आज हिन्दी को प्यार और दुलार की नहीं व्यवहार की आवश्यकता है। विशिष्ट अतिथि वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रो. अवनीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि छोटे छोटे देश अपनी मातृभाषा के बदौलत विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहे हैं, मगर हमारे देश में हिन्दी पर जोर नहीं दिया जाता है। उन्होंने तकनीकी शिक्षा पर भी विस्तृत जानकारी दी।           अखिल भारतीय नागरी लिपि परिषद् के महामंत्री डॉ. हरिसिंह पाल ने कहा कि भाषाई अस्मिता को समझने के लिए जरूरी है कि हिन्दी भाषा के चरित्र और परिवेश को समझे। वैश्विक हिन्दी सम्मेलन के निदेशक डाॅ मोतीलाल गुप्ता ने कहा कि हिन्दी को साहित्यिक विज्ञान की भाषा बनाने की आवश्यकता है। संस्थान के महासचिव डाॅ. अंशुमाला ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि स्वतंत्रता प्राप्ति के समय हमारे राष्ट्र निर्माताओं ने कभी सच्चे मन से एक राष्ट्रभाषा चाही ही नहीं। कार्यक्रम में लोकगायिका डॉ. नीतू कुमारी नवगीत ने गोपाल सिंह नेपाली की प्रसिद्ध रचना ‘हिन्दी है भारत की बोली तो इसे अपने आप पनपने दो …’ की सुन्दर प्रस्तुति दी।कार्यक्रम के दूसरे सत्र में प्रख्यात साहित्यकार पद्मश्री डॉ. शांति जैन की अध्यक्षता में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। जिसका संचालन डॉ. अर्चना त्रिपाठी ने किया। कार्यक्रम में कनाडा की प्रख्यात साहित्यकार एवं विश्व हिन्दी सम्मान से सम्मानित डॉ. स्नेह ठाकुर, बुल्गारिया की कवयित्री , दिलीप कुमार,  डॉ मौना कौशिक, मीनू सिन्हा मीनल, सच्चिदानंद सिन्हा, डॉ रंजना झा, आराधना प्रसाद, डॉ आरती कुमारी, डॉ अंजनी कुमार,  माधवी चौधरी इत्यादि ने कविता पाठ से समा बाँध दिया। 

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