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डीएम ने किया प्रधानाध्यापकों के साथ बैठक, विद्यालय में शिक्षा का अच्छा वातावरण बनाने, बेहतर शिक्षण व्यवस्था उपलब्ध कराने का दिया निदेश,

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डीएम ने किया प्रधानाध्यापकों के साथ बैठक, विद्यालय में शिक्षा का अच्छा वातावरण बनाने, बेहतर शिक्षण व्यवस्था उपलब्ध कराने का दिया निदेश,

 मुंगेर।

विद्यालय में शिक्षा का अच्छा वातावरण बनाये, छात्र- छात्राओं एवं अभिभावकों में भी विश्वास उत्पन्न करे। इसके लिए उनके साथ बैठकर वार्ता कर विश्वास जगाये कि विद्यालय में बेहतर शिक्षण व्यवस्था उपलब्ध करायी जायेगी। यदि उन्हें विद्यालय में ही अच्छी शिक्षा प्राप्त होगी तो वे बाहर कोचिंग संस्थानों में नहीं जायेगे। कोई भी ऐसा बच्चा नहीं है जो विद्यालय में पढ़ना नहीं चाहता है, इसके लिए विद्यालय के शिक्षण वातावरण बेहतर बनाने के साथ साथ विद्यालय के आधारभूत संरचना का भी विकास करे, बच्चों के साथ अच्छा व्यवहार रखे। आज अपने कार्यालय वेश्म में जिलाधिकरी  नवीन कुमार ने शिक्षा विभाग के सात उच्च एवं उच्चतर विद्यालयों के प्राधानाचार्यो के साथ विद्यालयों में बच्चों की कम उपस्थिति के संदर्भ में बैठक की। बैठक में क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक, जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा कार्यक्रम पदाधिकारी भी  थे। जिलाधिकारी ने बारी बारी से मुंगेर नगर क्षेत्र स्थित टाउन स्कूल मुंगेर, उपेन्द्र ट्रेनिंग एकेडमी, नंद कुमार उच्च विद्यालय, जिला स्कूल, बैद्यनाथ बालिका उच्च विद्यालय, माॅडल स्कूल एवं जमालपुर स्थित एन.घोष हाई स्कूल के प्राधानाचार्यो से पूछा कि आपके विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति कम क्यों है, वे कोचिंग क्यों जा रहे है, क्या कारण है। क्या शिक्षण की व्यवस्था अच्छी नहीं है, इन्फ्रास्ट्रक्चर ठीक नहीं है, विद्यालय में बच्चों पर ध्यान नहीं दे रहे है, क्या शिक्षक पढ़ाते नहीं है, पूछा। कहा कि टाउन विद्यालय छोड़कर सभी विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति की स्थिति काफी दयनीय है। अभिभावक पैसे देकर कोचिंग संस्थानों में बच्चों को शिक्षण के लिए विद्यालय के स्थान पर भेज रहे है यह काफी खेदजनक है। आप सभी बच्चों को बेहतर शिक्षा न देकर समाज के प्रति अपराध है। जिलाधिकारी ने सभी से जानकारी ली कि क्या आपने जानने की कोशिश की कि बच्चे विद्यालय के स्थान पर कोचिंग संस्थान में पढ़ने क्यो जा रहे है। आपके द्वारा बच्चों की विद्यालय में बच्चों की उपस्थिति सुनिश्चित कराने के लिए क्या क्या प्रयास किये गये है। भविष्य की क्या कार्य योजना है जिससे बच्चे कोचिंग संस्थानों के स्थान पर विद्यालय में आकर शिक्षा प्राप्त करे।

जिलाधिकारी ने विभिन्न विद्यालयों को उपलब्ध छात्र कोष एवं विद्यालय विकास निधि की भी जानकारी ली। अधिकांश विद्यालयों द्वारा राशि व्यय नहीं होने की जानकारी दी। निर्देश दिया गया कि विकास निधि की राशि से विद्यालय की मरम्मति कराये। गेट से लेकर मैदान, भवन, रंगरोगन, साफ-सफाई का कार्य कराये। लाईब्रेरी को समृद्ध बनाये, लैब को सुढृढ़ करे, बैंच-डेस्क का क्रय कर अच्छी व्यवस्था सुनिश्चित करे। इससे विद्यालय का वातावरण बनेगा। बैद्यनाथ बालिका उच्च विद्यालय, जिला स्कूल जिसके विद्यालय प्रबंधन समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी है, इनके प्राधानाध्यापकों को विद्यालय विकास निधि की राशि के व्यय हेतु तुरंत कार्य योजना प्रस्तुत करने को कहा। अन्य विद्यालयों जिनके अध्यक्ष स्थानीय विधायक है उनसे संपर्क कर विद्यालय विकास निधि से विद्यालय का बेहतर व्यवस्था सुनिश्चित कराये।

जिलाधिकारी ने बच्चों की उपस्थिति के संदर्भ में क्षेत्रीय शिक्षा उप निदेशक के सलाह पर सभी बच्चों को चाइल्ड प्रोफाइल सूची तैयार करने का निर्देश दिया। गणित, विज्ञान, अंग्रेजी जिन विषयों के लिए बच्चे कोचिंग संस्थानों की ओर जाते है इन विषयों में बच्चों को एक्सट्रा क्लास की व्यवस्था करे। हर क्लास में सब्जेक्ट प्लान के अन्तर्गत चैप्टर प्लान प्रदर्शित रखे तथा बच्चों को बेसिक विषय वस्तु की भी जानकारी दे एवं उसे सख्ती से फाॅलों करे। एक्सन प्लान एवं एकेडमिक कैलेंडर का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करे। जो बच्चे किसी विषय में कमजोर है उन्हें उस विषय के लिए अतिरिक्त फोकस करे। सभी प्रधानाचार्य को 1 महीने के समय देते हुए कहा कि एक माह के अंदर सुधार करे अन्यथा कार्रवाई के लिए तैयार रहे। यदि सुधार नहीं होता है तो उन्हें सेवा से भी मुक्त करने की कार्रवाई की जा सकती है। एक माह में प्रगति नहीं होने पर संबंधित विद्यालय के शिक्षकों को दियारा क्षेत्र में शिक्षण हेतु स्थानांतरित किये जायेगे।  जिलाधिकारी ने कहा कि सरकार का निर्देश है कि बच्चों को शिक्षक नहीं पढ़ायेगे तो उनकी सेवा क्यो ली जायेगी। शिक्षकों के वेतन/मानदेय एवं विद्यालय स्थापना पर काफी राशि सरकार द्वारा व्यय की जा रही है जिसकी उपयोगिता आवश्यक है।

शिक्षा विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि वे उपरोक्त सात विद्यालयों का 1-1 पदाधिकारी प्रतिदिन मॉनिटरिंग करेंगे एवं प्रति सप्ताह उन्हें शुक्रवार को रिपोर्ट देगे। निर्देश दिये गये कि इन विद्यालयों में योग्यताधारी समर्पित शिक्षकों को आवश्यकतानुसार साईंस, गणित, अंग्रेजी आदि विषयों के लिए उपलब्ध कराये। साथ ही सभी शिक्षकों का कार्यशाला में उन्मुखीकरण भी कराये। शिक्षण की गुणवत्ता अच्छी होनी चाहिए तभी बच्चे विद्यालय की ओर आकर्षित होगे। इस पर किसी प्रकार की समझौता नहीं होनी चाहिए। जिलाधिकारी ने सभी प्रधानाचार्य को 15 दिन में परिणाम देने की हिदायत दी। साथ ही कहा कि शिकायतें प्राप्त हो रही है, फार्म आदि के नाम पर बच्चों से राशि की वसूली बंद करे।

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