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15 जून से 15 अगस्त तक बहती नदियों में मछलियों की शिकारमाही को किया गया प्रतिबंधित,

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15 जून से 15 अगस्त तक बहती नदियों में मछलियों की शिकारमाही को किया गया प्रतिबंधित,

मुंगेर।

जिला प्रशासन ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर बताया कि जिला में गंगा नदी बहती है। इससे प्राकृतिक मछलियों की प्रचुरता है, जिसे संरक्षित एवं सवंर्धित करने की आवश्यकता है। इसी कड़ी में बिहार मत्स्य जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 एवं संशोधित अधिनियम 2007, 2010 एवं 2018 द्वारा 15 जून से 15 अगस्त तक बहती नदियों में मछलियों की शिकारमाही को प्रतिबंधित किया गया है। 15 जून से 15 अगस्त यानि मानसुन का माह मछलियों के लिए प्रजनन काल होता है, जिसमें मछलियों अपने अपने प्रजनन हेतु उपयुक्त स्थल का चयन कर बच्चा देने का कार्य करती है। सफल प्रजनन होने से मछलियों की संख्या में बढ़ोतरी होती है, जो हमें बाद के महिनों में मिलता है।

नदियों में मछलियों का सफल प्रजनन हो इसके लिए मानसून की अवधि तक नदियों से मछली पकड़ने पर रोक लगायी है। जिले के सारे मछुआ सदस्यों से अनुरोध है कि उक्त अवधि में मछलियों की शिकारमाही न करें एवं अन्य किसी भी व्यक्ति को ऐसा ना करने से रोके। उक्त कदम आपके हित में है, जो नदियों में मछलियों के संरक्षणए संवर्घन एवं जैव विविधता बढ़ाने में मदद करेगी। उक्त मदद से नदियों में प्रदूषण का स्तर भी कम होगा। जिला मत्स्य पदाधिकारी द्वारा अपील की गई है कि प्रतिबंधित अवधि में नदियों में मछली शिकारमाही नहीं की जाय। बिहार जलकर प्रबंधन अधिनियम 2006 की धारा-13 में निम्न प्रतिषेध लगाया है।

1. 15 जून से 15 अगस्त तक की समयावधि में नदियों में शिकारमाही प्रतिषेध होगी।

2. 4 से0मी0 से कम का फासा जाल (गिलनेट) नदियों में प्रतिषेध होगा।

3. पालने वाली मछलियों के किसी भी नस्ल की अंगुलिकाओं की शिकारमाही नदियों में प्रतिषेध होगी।

4. मछलियों के आने-जाने के रास्ते पर बाडी या किसी प्रकार का घेरा नदियों एवं जलाशयों में प्रतिषेध होगा।

5. सभी शिकारमाही हेतु डायनामाईट या विस्फोटक पदार्थ, जहर या अन्य जहरीले पदार्थ का उपयोग प्रतिषेध होगा।

कोई भी व्यक्ति जो उक्त धारा के किसी उपधारा का उल्लंघन करता है तो वह अपराध की श्रेणी में आएगा तथा छः महीने तक के कारावास या पांच सौ रुपये तक के जुर्माना अथवा दोनों से दण्डनीय होगा। ऐसा अपराध संज्ञेय होगा।

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