अपराध मुंगेर

दुर्गा प्रतिमा विसर्जन कांड : आरोपी सिपाही मिली जमानत, 

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दुर्गा प्रतिमा विसर्जन कांड : आरोपी सिपाही मिली जमानत, तत्कालीन एसपी ने संयुक्त पर्यवेक्षण टिप्पणी में हटाया था गैर जमानतयी धारा,पदाधिकारी ब्रजेश सिंह एवं कृष्णा कुमार के विरुद्ध सात माह बाद भी साक्ष्य नहीं जुटा सकी डीएसपी सह आईओ,
 मुंगेर।बीते वर्ष जिला मुख्यालय दुर्गा प्रतिमा विर्सजन कांड में पुलिस की बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज , श्रद्धालु अनुराग  की हत्या एवं धार्मिक भावनाओं को आहत करने का मामलें काफी दिनों तक सुखियों में बनी रही । वायरल  वीडियो ने देश में तहलका मचा दी । कई राष्ट्रीय चैनल इस मामले पर कई डिवेट भी किया ।  एक बार फिर तत्कालीन मुंगेर पुलिस कप्तान मानवाजीत सिंह ढिल्लों  ने अपनें  सहकर्मी को बचाने के लिए एड़ी चोटी लगा दी थी ।जिसका खुलासा आरोपी सिपाही भास्कर  कुमार झा को आसानी से जमानत मिलने के बाद हुई है ।
गौरतलब हो की कि बाटा चौक पर महाआरती के लिए खड़ी बड़ी दुर्गा प्रतिमा के पास निहत्थे भक्तों पर पुलिस की बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज को लेकर कोतवाली थाना कांड संख्या 312 / 20 में हत्या के प्रयास , धार्मिक भावनाओं को आहत करना,धार्मिक वस्तु को नष्ट करने वा अन्य धाराओं में  प्राथमिकी दर्ज हुई थी । जिसमें नामजद सिपाही ना तो जेल गये, ना ही उसकी नौकरी गई । अगर एक रात भी आरोपी सिपाही जेल में रहते तो उसकी नौकरी चली जाती ।         जमानतीय अपराध में केस डायरी  आने के बाद आरोपी सिपाहियों ने सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण किया और कोर्ट ने जमानत स्वीकार किया । सर्वप्रथम 29 जून 2021 को सिपाही भास्कर कुमार झा को जमानत मिली फिर 1 जुलाई को सिपाही विकास कुमार एवं मोहन कुमार को और 2 जुलाई को सिपाही विजेन्द्र सिंह को जमानत मिली है । कौन है अनुसंधान कर्ता :-
इस मामले में नामजद अभियुक्त तत्कालीन मुफस्सिल थाना प्रभारी ब्रजेश सिंह एवं कथित पुलिसकर्मी कृष्णा कुमार के विरुद्ध घटना के चार माह के बाद भी पुलिस उपाधीक्षक सह तत्कालीन केस के आईओ पर्याप्त साक्ष्य नहीं जुटा सकें । 6 अप्रैल 2021 से इस कांड के अनुसंधानकर्ता पुलिस उपाधीक्षक मुख्यालय सुमित कुमार को बनाया गया था ।क्या है मामला : -26 अक्टूबर 2020  के देर रात्रि को परंपरागत बड़ी दुर्गा मां महाआरती के लिए बाटा चौक पर रूकीं हुई थी ।इसी दौरान दीनदयाल चौक पर पुलिस के गोली से श्रद्धालु अनुराग की मौत हो गई तो कई लोग गोली से गंभीर रूप से जख्मी हो गये फिर भीड़ उग्र हुई । फिर शहर में पुलिस का तांडव हुआ था । बड़ी दुर्गा मां प्रतिमा के सुरक्षा के लिए सड़कों पर शांतिपूर्वक भक्तों एवं बड़ी दुर्गा पुजा समिति के सदस्य एवं पदाधिकारी बैठे थे । इसी बीच दीनदयाल चौक एवं राजीव गांधी चौक से  लगभग पचास से अधिक पुलिसकर्मी, सीआइएसएफ के जवान , पुलिस पदाधिकारी एवं सिविल ड्रेस में पुलिसकर्मी एवं पुलिस पदाधिकारियों आया और  निहत्थे लोगों पर बर्बरतापूर्ण लाठीचार्ज किया । जिस से दर्जनों लोग गंभीर रूप से जख्मी हुए तो दर्जनों लोग अंशिक रूप से जख्मी हुए थे। क्या है जांच रिपोर्ट :-गौरतलब हो की वायलर वीडियो में पचास से अधिक आरोपी नजर आते हैं, आईओ को मात्र चार सिपाही, एक कथित पुलिस, एक पुलिस पदाधिकारी एवं सात सीआइएसएफ का जवान ही नजर आया ।  इस मामले में एक भी सीआइएसएफ जवानों को अब तक चिन्हित नहीं किया जा सका । दर्ज नहीं की थी प्राथमिकी :- पुलिस के द्वारा झुठा मुकदमों में फंसाने के डर से कई पीड़ितों  ने एफआईआर नहीं की ।  कई गंभीर रूप से जख्मी लोगों का कोतवाली थानाध्यक्ष ने एफआईआर नहीं दर्ज की । मजबूरन कई पीड़ितों ने   तत्कालीन पुलिस अधीक्षक लिपि सिंह , पुलिस पदाधिकारी एवं पुलिसकर्मी के विरुद्ध न्यायालय में परिवाद पत्र दायर की है ।जिसमें गवाही चल रहीं है । तत्कालीन डीएसपी सदर के आदेश पर दर्ज हुई थी  प्राथमिकी : वायरल वीडियो बना प्राथमिकी का आधार :-वायरल वीडियो ने जिला पुलिस प्रशासन सहित पुलिस मुख्यालय की नींद उड़ा दी । तत्कालीन सदर डीएसपी नंदनजी प्रसाद के पंत्राक 3120/20 दिनांक 1 नवंबर 2020 के निर्देश पर कोतवाली में थाना कांड संख्या 312/20 दर्ज हुई ।            वायरल वीडियो में डीएसपी ने तत्कालीन मुफस्सिल थानाध्यक्ष ब्रजेश सिंह, कथित सिपाही कृष्णा कुमार, सिपाही भास्कर झा ,रंगदारी सेल के सिपाही  विजेन्द्र सिंह, विकास कुमार एवं मोहन कुमार एवं सात सीआइएसएफ के जवान के विरुद्ध में भादवि की धारा 147,342,,323,, 153( क ) ,295(क) 307/34  के अंतर्गत कांड पंजीकृत करनें का निर्देश दिया था ।हटाया गया गैर जमानतीय धारा 307 :-डीएसपी सदर नंदजी प्रसाद के निर्देश पर गैर जमानतीय धारा में कांड पंजीकृत हुई । इस कांड के अनुशंधानक डीएसपी बनें लेकिन ,तत्कालीन एसपी मानवजीत सिंह ढिल्लों ने  8 मार्च 2021 को संयुक्त पर्यवेक्षण टिप्पणी में किसी जख्मी का जांच प्रतिवेदन प्राप्त नहीं रहने का कारण बताकर भादवि की धारा 307 ( हत्या के असफल प्रयास ) को हटा दिया ।गौरतलब हो कि  खानापूर्ति के लिए आईओ ने बड़ी दुर्गा पुजा समिति के अध्यक्ष दीपक वर्मा , मंत्री देवनंदन प्रसाद एवं कोषाध्यक्ष सुशील कुमार को नोटिस  निर्गत किया और बाद में तीनों नोटिस की तामिल नहीं होने की बात केस डायरी में कहीं है । इस के आलावा अन्य कई जख्मीओं का जांच प्रतिवेदन प्राप्त करनें के लिए डीएसपी सह आईओ ने प्रयास नहीं किया और केस को कमजोर कर दिया ।क्यों हटी अन्य धाराएं :  147 भादवि – अपनें कर्तव्य के दौरान आकस्मिक स्थिति में लाठी चार्ज किया गया ।153 ( क)  दोनों पक्ष एक ही समुदाय के हैं । इसलिए धार्मिक भावनाओं को आहत नहीं किया गया ।295( क ) लोगों के द्वारा पुलिस को उकसाया गया । योजनावद्ध या दुर्भावना पूर्व से पुलिसकर्मियों ने लाठी चार्ज नहीं किया गया ।कहते हैं अधिवक्ता : -दुर्गा विसर्जन कांड मामलों को देख रहें मानवाधिकार एक्टिविस्ट एवं अधिवक्ता ओम प्रकाश पोद्दार ने बताया कि तत्कालीन एसपी एवं डीएसपी के पक्षपात पूर्ण कार्य के कारण आरोपी पुलिसकर्मियों को आसानी से जमानत मिली और न्याय प्रभावित हुई ।जिला पुलिस चाहतीं है कि अन्य पीड़ित भी अमरनाथ पोद्दार के तरह न्याय पाने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर करें ।

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