मुंगेर

पुण्यतिथि पर याद किए गए नंदलाल बसु, माल्यार्पण व पुष्पांजलि कर दी गई श्रद्धांजलि

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पुण्यतिथि पर याद किए गए नंदलाल बसु,
माल्यार्पण व पुष्पांजलि कर दी गई श्रद्धांजलि
मुंगेर। जिले के हवेली खड़गपुर में नंदलाल बसु के पुण्यतिथि पर स्थानीय नागरिकों ने उनकी आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर हरि सिंह महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. उमेश कुंवर उग्र, शुभम पाल,

जिले के हवेली खड़गपुर में नंदलाल बसु के पुण्यतिथि पर स्थानीय नागरिकों ने उनकी आदम कद प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि कर श्रद्धांजलि दी। इस अवसर पर हरि सिंह महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्राचार्य प्रो. उमेश कुंवर उग्र, शुभम पाल,

छात्र राजद जिला अध्यक्ष ईशु यादव, प्रो. चंदन जी, धीरज यादव, रौशन, बंटी, राजू, सूरज, धीरज, विकास एवं अन्य थे।
कहां हुआ जन्म :-

भारत के प्रसिद्ध चित्रकार नंदलाल बोस का जन्म बिहार के मुंगेर जिले के हवेली खड़गपुर में 3 दिसम्बर 1882 ई. में एक मध्यम-वर्गीय बंगाली परिवार हुआ था। उनके पिता पूर्णचंद्र बोस और माता क्षेत्रमणि देवी थी

संविधान की मूल प्रति का डिजाइन बनाने का मिला सौभाग्य :-
नंदलाल बोस को संविधान की मूल प्रति का डिजाइन बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। इनके प्रसिद्ध चित्रों में है–‘डांडी मार्च’, ‘संथाली कन्या’, ‘सती का देह त्याग’ इत्यादि है।
नंदलाल बोस ने चित्रकारी और कला अध्यापन के अतिरिक्त इन्होंने तीन पुस्तिकाएँ रूपावली, शिल्पकला और शिल्प चर्चा, भी लिखीं है। वे अवनीन्द्रनाथ ठाकुर के प्रख्यात शिष्य थे।
कुम्भकार ही थे उनके पहले गुरु :-
बिहार में प्राथमिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद 15 साल की आयु में नंदलाल उच्च शिक्षा के लिए बंगाल गए। उस समय बिहार, बंगाल से अलग नहीं था। कला के प्रति बालसुलभ मन का कौतुक उन्हें जन्मभूमि पर ही पैदा हुआ। यहाँ के कुम्भकार ही उनके पहले गुरु थे। बाद में वे बंगाल स्कूल के छात्र बने और फिर शांतिनिकेतन में कला भवन के अध्यक्ष बने।
गांधी जी के प्रिय थे :-
स्वतंत्रता आंदोलन में भी इन्होंने खूब हिस्सा लिया। गांधीजी और सुभाष चंद्र बोस, जवाहरलाल नेहरू के अत्यंत प्रिय थे। अपने व्यस्ततम जीवनचर्या के बावजूद वे बार-बार अपनी जन्मभूमि को देखने आते रहे। छात्रों के साथ राजगीर और भीमबांंध की पहाड़ियों में हर साल वे दो-तीन बार सैर के लिए आया करते थे। राज्य सरकार के स्तर पर इनकी स्मृति को संरक्षित करने का कोई प्रयास आज तक नहीं हुआ।
‘संभवा’ ने स्थापित उनकी आदमकद प्रतिमा :- पद्मभूषण से सम्मानित महान शिल्पकार नंदलाल बसु
16 अप्रैल 1966 को 83 वर्ष की आयु में दुनिया को अलविदा कह दिया। बोस को कृतज्ञ राष्ट्र ने ढेर सारे सम्मान दिए. उनकी स्मृति में डाक टिकट भी जारी किया गया। बोस की जन्म भूमि मुंगेर के हवेली खड़गपुर में साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संस्था ‘संभवा’ द्वारा उनकी आदमकद प्रतिमा स्थापित की गई।

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