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जन्मदिन पर बाबासाहेब अंबेडकर प्रतिमा का अनावरण,

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जन्मदिन पर बाबासाहेब अंबेडकर प्रतिमा का अनावरण प्रखंड के शामपुर थाना क्षेत्र के पासवान टोला मोड़ पर भारत रत्न से सम्मानित बाबासाहेब डा. भीमराव अंबेडकर की 130 वी जयंती पर जिला परिषद पति अशोक पासवान ने बाबा साहेब के प्रतिमा पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि कर किया। प्रतिमा का निर्माण एसके आर्ट  के कलाकारों द्वारा किया गया है तथा जिला परिषद सदस्य गायत्री देवी प्रतिमा स्थापना में अपना योगदान दिया है। प्रतिमा स्थापना में सहयोग कर रहे हो मुकेश पासवान ने बताया कि कोविड 19 के गाइडलाइन को ध्यान में रखते हुए जयंती समारोह आयोजित की गई। इसी के साथ लोग उनकी आदम कद प्रतिमा का दर्शन कर पाएंगे। जन्मदिन पर पूरा देश करता है नमन :- जिला परिषद सदस्य पति अशोक कुमार पासवान ने बताया कि बाबा साहेब अंबेडकर सिर्फ एक व्यक्ति नहीं थे, वह नैतिकता का पर्याय थे। उन्होंने सामाजिक बुराई के खिलाफ आवाज उठाई और यही कारण है कि 14 अप्रैल को अम्बेडकर जयंती के नाम से मनाया जाने लगा। इस दिन को नेशनल हॉलिडे घोषित किया, इस दिन सभी सरकारी व प्राइवेट संस्थान स्कूल कॉलेज का अवकाश होता है। अम्बेडकर जी ने ही दलित व नीची जाति के लिए आरक्षण की शुरुवात करवाई थी, उनके इस काम के लिए आज भी देश उनका ऋणी है। उनकी मुर्तिया देश के कई शहरों में सम्मान के तौर पर बनाये गए। अम्बेडकर जी को पूरा देश शत शत नमन करता है।
छुआछूत को किया खत्म :-उन्होंने बताया कि अंबेडकर को दलितों का मसीहा माना जाता है, मगर यह भी उतना ही सही है कि उन्होंने ताउम्र सिर्फ दलितों की ही नहीं, बल्कि समाज के सभी शोषित-वंचित वर्गों के अधिकारों की बात की. उनकी नजर में छुआछूत व जातिवाद, जो किसी बीमारी से कम नहीं थी, ये देश को कई हिस्सों में तोड़ रही थी और जिसे देश से निकालना बहुत जरुरी हो गया था, इसके खिलाफ अम्बेडकर जी ने मोर्चा छेड़ दिया. अम्बेडकर जी ने कहा नीची जाति व जनजाति एवं दलित के लिए देश में अलग से एक चुनाव प्रणाली होनी चाहिए, उन्हें भी पूरा हक मिलना चाहिए कि वे देश के चुनाव में हिस्सा ले सके. अम्बेडकर जी ने इनके आरक्षण की भी बात सामने रखी. अम्बेडकर जी देश के कई हिस्सों में गए, वहां लोगों को समझाया कि जो पुरानी प्रथा प्रचलित है वो सामाजिक बुराई है। उसे जड़ से उखाड़ कर फेंक देना चाहिए। उन्होंने एक न्यूज़ पेपर ‘मूक्नायका’ (लीडर ऑफ़ साइलेंट) शुरू किया. एक बार एक रैली में उनके भाषण को सुनने के बाद कोल्हापुर के शासक शाहूकर ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।हरिजन शब्द से था उन्हें नफरत :-

 अम्बेडकर ने आल इंडिया शीडयूल कास्ट पार्टी का गठन किया और इस पार्टी के साथ वे 1946 में संविधान सभा के चुनाव में खड़े हुए, लेकिन उनकी इस पार्टी का चुनाव में बहुत ही ख़राब प्रदर्शन रहा। कांग्रेस व महात्मा गाँधी ने अछूते लोगों को हरिजन नाम दिया, जिससे सब लोग उन्हें हरिजन ही बोलने लगे, लेकिन अम्बेडकर जी को ये बिल्कुल पसंद नहीं आया और उन्होंने उस बात का विरोध किया। उनका कहना था अछूते लोग भी हमारे समाज का एक हिस्सा है, वे भी बाकि लोगों की तरह नार्मल इन्सान हैं। अम्बेडकर जी को रक्षा सलाहकार कमिटी में रखा गया व वाइसराय एग्जीक्यूटिव कौसिल में उन्हें लेबर का मंत्री बनाया गया. वे आजाद भारत के पहले लॉ मंत्री बने, दलित होने के बावजूद उनका मंत्री बनना उनके के लिए बहुत बड़ी उपाधि थी। 1990 में भारत का सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार  भारत रत्न चेक उन्हें सम्मानित किया गया।

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