बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल अधिनियम 2021 पर अनर्गल बयानबाजी कर रहा है विपक्ष : मनोरंजन,
मुंगेर।जनता दल यूनाइटेड के मुख्य जिला प्रवक्ता मनोरंजन मजूमदार ने एक बयान जारी कर कहा है कि विरोधी दल के लोग बिना वजह का बिहार विशेष सशस्त्र पुलिस बल अधिनियम 2021 के विरुद्ध अनर्गल बयानबाजी कर आम जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि इस एक्ट के बारे में या तो विपक्ष को जानकारी का अभाव है या तो जानबूझकर जनता को सरकार के विरुद्ध भ्रमित करने का काम कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वास्तविकता यह है 1892 में बंगाल पुलिस एक्ट के तहत बिहार सैन्य पुलिस का गठन हुआ था। उस वक्त उड़ीसा बंगाल असम और बिहार में यह लागू था। बंगाल आसाम और उड़ीसा ने अपना अलग पृथक सशस्त्र बल का गठन कर लिया। बिहार में बिहार विशेष ससस्त्र बल अधिनियम 2021 के तहत कानून बनाया गया। 1961 में बिहार पुलिस आयोग का गठन हुआ था, जिसके अनुशंसा के आधार पर बिहार विशेष ससस्त्र पुलिस बल 2021 अधिनियम बनाया गया है। यह कानून सिर्फ बिहार सैन्य पुलिस का नामकरण बदल कर बिहार विशेष ससस्त्र बल करने एवं हवाई अड्डा बड़े औद्योगिक प्रतिष्ठान, बड़े सार्वजनिक प्रतिष्ठान, बड़े पर्यटक संस्थान एवं बड़े सांस्कृतिक और आध्यात्मिक संस्थान में इस बल की प्रतिनियुक्ति के लिए उन्हें अधिकार संपन्न बनाया गया है। इस अधिनियम के तहत राज्य सरकार द्वारा विशेष सशस्त्र पुलिस बल को जिस प्रतिष्ठानों में सुरक्षा के लिए तैनात किया जाएगा वहां किसी भी असामाजिक तत्वों पर कार्रवाई के लिए उन्हें कुछ स्वतंत्रता दी गई है। जैसे बिना वारंट की गिरफ्तारी, गिरफ्तार कर वैसे अपराधी तत्वों को तुरंत थाने के हवाले सामान्य पुलिस के जिम्मे सौंप दिया जाएगा। बिहार विशेष सशस्त्र बल को किसी प्रकार का अनुसंधान करने का अधिकार प्राप्त नहीं है। सिर्फ प्रतिनियुक्ति के प्रतिष्ठानों के अंतर्गत ही कार्रवाई करेगी। पूर्व में जो बिहार सैन्य पुलिस था, उसी का नाम बदलकर उसे अत्याधुनिक हथियारों से लैस कर एक सुसज्जित सशस्त्र पुलिस बल का गठन के लिए विधेयक बनाया गया। यह विधेयक सीआईएसएफ के तर्ज पर अधिकार संपन्न बनाकर इसे विकसित किया जाएगा। आज बिहार में 45000 से अधिक औद्योगिक सुरक्षा बल को विभिन्न प्रतिष्ठानों में सुरक्षा के लिए लगाया गया है। जिसके लिए बिहार सरकार को काफी आर्थिक बोझ सहन करना पड़ रहा है। औद्योगिक सुरक्षा बल के स्थान पर बिहार विशेष सशस्त्र बल को वैसे प्रमुख संस्थानों में प्रतिष्ठानों में नियुक्त करेगी। जिससे अन्य केंद्रीय सुरक्षाबलों के भरोसे बिहार नहीं रह सके। बिहार सैन्य पुलिस नाम भी उपयोगी नहीं था। आसाम बंगाल और उड़ीसा में पूर्व में ही नामों में संशोधन किया जा चुका है। बिहार में पूर्ववर्ती सरकारों ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया और बिहार सैन्य पुलिस नाम के साथ साथ बंगाल पुलिस एक्ट 1892 के तहत ही बिहार में बिहार सैन्य पुलिस का काम चल रहा था। यह नाम उपयोगी नहीं रहने के कारण इसे बदला गया। बिहार का अपना सुसज्जित सशस्त्र बल बनाकर वह सभी काम बिहार विशेष सशस्त्र बल से लिया जाएगा, जो औद्योगिक सुरक्षा बल आज कर रही है। वैसे तो दरभंगा एयरपोर्ट सहित गया में भी बौद्ध मंदिरों में बीएमपी की तैनाती हुई है। सभी जगह जो बीएमपी की तैनाती हो रहा या होने वाली है। उसका नाम बिहार विशेष सशस्त्र बल रखा गया और वैसे सभी प्रतिष्ठानों के सुरक्षा के लिए इस सशस्त्र बल को अधिकार संपन्न बनाया गया है। इससे जनता के आम जीवन से कोई मतलब नहीं है। जनता के बीच विपक्ष द्वारा भ्रम फैलाने का सुनियोजित साजिश रचा जा रहा है। मुख्य जिला प्रवक्ता मनाेरंजन मजुमदार ने कहा है कि बिहार में विपक्षी के पास कोई मुद्दा नहीं है। विकास के सारे कार्यों काे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में धरातल पर उतारा जा रहा है। बिहार तीव्र गति से विकसित बिहार बनने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। ऐसे में विराेधियाें काे परेशानी हो रही है, हताशा में ही झूठ फरेब काे आधार बना कर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं।