परिवार नियोजन जागरूकता रथ को जिलाधिकारी ने हरी झंडी दिखाकर किया रवाना,जिले के नौ प्रखण्डों के लिए कुल 18 जागरूकता रथ रवाना,
मुंगेर। राज्य स्वास्थ्य समिति के द्वारा चलाए जा रहे मिशन परिवार विकास एवं संचार अभियान के तहत गुरुवार को जिला समाहरणालय परिसर से जिलाधिकारी रचना पाटिल ने जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर रवाना किया। उन्होंने बताया कि परिवार नियोजन के प्रति लोगों को जागरूक करने के उद्देश्य से जिले के सभी प्रखण्डों के आंगनवाड़ी केंद्रों पर आरोग्य दिवस के दिन बुधवार और शुक्रवार को जागरूकता रथ के माध्यम से ई माइकिंग की जाएगी। सदर अस्पताल में एएनएम ने निकाली जागरूकता रैली :-
सदर अस्पताल में परिवार नियोजन जागरूकता अभियान में एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं की भूमिका को ले एक कार्यक्रम आयोजित किया गया। कार्यक्रम के बाद एएनएम और आशा कार्यकर्ताओं ने परिवार नियोजन को ले सदर अस्पताल से एक जागरूकता रैली निकाली जिसे सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार भारती, डीपीएम नसीम रज़ी, डीएस डॉ. रामप्रीत सिंह , डीटीएल केयर सहित कई अधिकारियों ने हरी झंडी दिखाई। जागरूकता रैली सदर अस्पताल से निकल कर शहर के विभिन्न मार्गों से होते हुए पुनः सदर अस्पताल आकर समाप्त हो गई। इस दौरान एएनएम आशा कार्यकर्ता परिवार नियोजन से सम्बंधित नारे लिखी तख्तियां लेने के साथ हीं इससे संबंधित नारे भी लगा रही थी। स्वस्थ और कुपोषण रहित बच्चे और उसकी माता से ही स्वस्थ समाज की संकल्पना होगी साकार :-सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार भारती ने बताया कि सभी एएनएम और आशा कार्यकर्ता जहां कहीं भी काम कर रही है, वहां लोगों को शादी के साथ हीं अपने- अपने परिवार के लिए प्लानिंग करने के लिये कॉउंसलिंग करेगी ताकि सभी लोग सही समय पर अपने परिवार कि प्लानिंग कर अपने बच्चे को उचित शिक्षा, स्वास्थ्य के साथ ही उसकी अच्छी तरीके परवरिश कर सकें। उन्होंने कहा कि दो बच्चे के बीच सही अंतराल रख सकें सके और माता और बच्चे के स्वास्थ्य की भी सही तरीके से देखभाल कर सकें। बच्चे और उसकी माता जब स्वस्थ और कुपोषण रहित होंगी होगी तभी स्वस्थ समाज की संकल्पना साकार हो सकती है। सही समय में शादी, गर्भ धारण और सही अंतराल के बाद बच्चा पैदा करना है परिवार नियोजन :-डीटीएल केयर डॉ. अजय आर्य ने बताया कि अभी समाज में ऐसी मान्यता है कि परिवार नियोजन का मतलब महिला बंध्याकरण या पुरुष नसबंदी का ऑपरेशन कराना है। परिवार नियोजन का अर्थ सिर्फ इतना बस नहीं बल्कि इसका अर्थ सही मायने में सही समय में शादी, सही समय में गर्भ धारण और सही अंतराल के बाद बच्चा पैदा करने से है। उन्होंने बताया कि हमारे समाज में अभी 17 से 18 साल में लड़की की शादी हो जाती है और वो 20 वर्ष की उम्र में हो मां बन जाती है। इसके बाद करीब 25 वर्ष की उम्र में वो परिवार नियोजन के बारे में सोचती है। ऐसे लोगों की सही तरीके से कॉउंसलिंग कर उन्हें परिवार नियोजन के साधनों के बारे में प्रेरित (मोटिवेट) करना है ताकि वो सही समय पर अपने परिवार को नियोजित कर अपने बच्चों की सही तरीके से परवरिश कर सकें सके।इस अवसर पर सिविल सर्जन डॉ. अजय कुमार भारती, जिला स्वास्थ्य समिति के जिला कार्यक्रम प्रबंधक मो. नसीम रजी, डीटीएल केयर डॉ. अजय आर्य, जिला जनसम्पर्क पदाधिकारी दिनेश कुमार, केयर इंडिया कि फैमिली प्लांनिग काउंसलर तस्नीम रजी सहित कई पदाधिकारी थे।