1,034 Views
सिदो-कान्हू जयंती सह बाहा सरहुल पर्व का आयोजन
जमालपुर(मुंगेर)/संवाददाता
आदिवासी सांस्कृतिक संस्था जमालपुर के तत्वावधान में सिदो-कान्हू जयंती एवं आदिवासियों का मुख्य त्योहार बाहा सरहुल पर्व का आयोजन टुड़ा मुर्मू की अध्यक्षता में स्थानीय जेएसए मैदान में आयोजित की गई।जिसमें जमालपुर एवं आस-पास के सैकड़ों आदिवासियों ने पारंपरिक तरीके से जयंती को धूमधाम से मनाया।कार्यक्रम की शुरुआत मुख्य अतिथि रेल अधिकारी प्रदीप टोपो,ऑल इंडिया एससीएसटी रेलवे एसोसिएशन के सचिव चांदसी पासवान,वरिष्ठ उपाध्यक्ष शिवलाल रजक के द्वारा सिदो-कान्हू के तैलचित्र पर माल्यार्पण व पुष्प अर्पित कर की गयी।
वहीं संस्था के संरक्षक एवं एससीएसटी एसोसिएशन के अध्यक्ष टुड़ा मुर्मू ने कहा कि आदिवासी सांस्कृतिक संस्था की स्थापना एवं उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि बाहर गाँव से आकर हमलोग सपरिवार जमालपुर शहर में रहकर नौकरी करते हैं, यहां हम हिन्दी भाषी के साथ रहने,पढ़ने,लिखने, बोलने,के कारण धीरे-धीरे अपनी भाषा,संस्कृति आदि को भूलते जा रहे है।इसी भाषा एवं संस्कृति को जीवित रखने के लिए हमलोग सिदो-कान्हू जयंती,बिरसा मुंडा जयंती,आदिवासी बाहा/सरहुल पर्व मिलान समारोह, सोहराय (वंदना) पर्व इत्यादि का आयोजन समय-समय पर करते रहते है।
उन्होंने कहा कि आदिवासियों का यह बाहा/सरहुल पूजा प्रकृति के प्रति समर्पण का परिचायक पर्व है।जब पेड़-पौधे पुराने पत्ते को छोड़ नये पत्ते,फूल होने लगते है,तो इस पूजा का आयोजन किया जाता है।इसी पूजा,अर्चना के बाद आदिवासी समुदाय नये फल-फूल का सेवन करते है।इस पूजा के लिए समाज मेंं एक नायके (पुजारी) होते है।जो पूरे नियम-धर्म के साथ पारंपरिक रीति रिवाज के साथ जाहेर (थान) में पूजा अर्चना करते है।साथ ही पुजारी द्वारा सभी को सखुआ का फूल बांटा जाता है।इस फूल को सभी महिला,पुरुष,लड़की अपने अपने बालों में,कानो में रखते है।तथा मांदर के थाप में हर्षोल्लास के साथ नाचते गाते है।जाहेर थान में मुख्य रूप से (देवता का नाम) मराड,बुरु,जाहेर आयो, सिंग बोंगा,गोसाय आयो, मोड़ेको आदि का पूजा करते है।
वहीं इस जयंती समारोह एवं बाहा/सरहुल पर्व के उपलक्ष्य में खेल-कूद का भी आयोजन किया गया एवं जीत हासिल करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कृत किया गया।प्रतियोगिता में तीरंदाजी,50 व 100 मीटर दौड़,जलेबी रेस,हंडा फोड़,म्यूजिकल चेयर रेस इत्यादि रखा गया था।