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“सृजन संसार” की ओर से ऑनलाइन कवि सम्मेलन में साहित्यकारों ने दी प्रस्तुति,

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“सृजन संसार” की ओर से ऑनलाइन कवि सम्मेलन में साहित्यकारों ने दी प्रस्तुति,

रांची।

“सृजन संसार”साहित्यिक मंच रांची की ओर से शनिवार को ऑनलाइन कवि सम्मेलन का आयोजन सदानंद सिंह यादव के संयोजन वरिष्ठ कवयित्री डॉ• सुरेंद्र कौर नीलम की अध्यक्षता तथा मुख्य अतिथि प्रयागराज उत्तर प्रदेश से डॉक्टर शिशिर सोमवंशी की उपस्थिति में हुई।

संचालन मनीषा सहाय ‘सुमन’ ने किया।इस कवि सम्मेलन की शुरुआत डॉ• सुरेंद्र कौर नीलम द्वारा प्रस्तुत – मां बेड़ा पार करो सरस्वती वंदना से हुई। उसके बाद गीता चौबे गूंज द्वारा भोजपुरी गीत – ‘शादी के बाद के पहिलकी तीज आज हम करब सोलह सिंगार’ की हृदयस्पर्शी प्रस्तुति हुई। मीनू मीना सिन्हा मीनल ने कविताओं का शहर शीर्षक रचना से- ‘मैं कल कविताओं के शहर गई थी’।सुनाकर मन मोह लिया।डॉ रजनी शर्मा चंदा ने अपने प्रेम गीत – तेरे प्रेम गीत की धुन पर मैं बावरी जग को भूली की प्रस्तुति दी। सूरज श्रीवास्तव ने – हम प्यार में तेरे मजबूर हो गए जितने भी गम मिले मंजूर हो गए ।डॉक्टर राजश्री जयंती ने कही कि- दूर से ही आंखों में झांकना होगा ना, क्या कहती है ये आंखे आंकना होगा ना ।नकाब अब जीवन का हिस्सा बन गया ,तोलिया अंचरा दुपट्टा बांधना होगा ना ।संगीता सहाय अनुभूति ने- बेटी विदाई प्रसंग को केंद्रित करते हुए प्रस्तुति दी- चिंतित यह लिए सर्जन नयन नैनो में पल नयन मधुर सपन तो रेनू झा ने अपनी प्रस्तुति में -चलो सखी दीप जलाएं मंगल गायें, हम सब उत्सव मनाएं। वीणा प्रसाद बिम्मी ने शीर्षक चेहरा की प्रस्तुति देते हुए अपनी रचना सुनाई -जब कभी खुद को सोचती हूं खुद पर यकीन नहीं होता, अक्सर आदमी जो दिखता है वह वही नहीं होता। स्नेहा राय ने अपनी ग़ज़ल प्रस्तुत करते हुए फलक पर चांद और तारे मिलन के गीत गाते हैं ।वहीं रेनू बाला धार ने ‘भोले भोले भोले बाबा सबसे अलबेला दर्शन तो जिशान अल्तमस ने -हो मोहब्बत तो मोहब्बत हो ,व्यापार ना हो वही कार्यक्रम के संयोजक सदानंद सिंह यादव ने महादेव पर एक गीत प्रस्तुत किए- अजब है भोलेनाथ यह दरबार तुम्हारा ।मनीषा सहाय सुमन ने शहर शीर्षक की अभिव्यक्ति करते हुए हर शख्स के होठों पर सवाल है ऊपर से दिखते खुश अंदर से हाल बेहाल है की प्रस्तुति दी ।आरिश निजाम ने – जब कभी हम चोट उनको दिख लाने गए, पीछे पीछे शहर भर के सारे दीवाने गए ।संध्या चौधरी उर्वशी ने शीर्षक “रास्ता” पर अपनी रचना -रास्ता सामने है चल कर देखो तो वहीं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि प्रयागराज उत्तर प्रदेश से वरिष्ठ साहित्यकार डॉक्टर शिशिर सोमवंशी ने इस ऑनलाइन कवि सम्मेलन में अपनी तीसरी पुस्तक “आत्मा का अर्धांश” की चर्चा की और उस काव्य संग्रह से उन्होंने अपनी एक रचना प्रस्तुत किए। जिसपर लोगों ने खूब वाहवाही दी। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही डॉक्टर सुरिन्दर कौर नीलम ने मनहर घनाक्षरी छंद में अपनी रचना प्रस्तुत करते हुए कहा कि- तीज का त्योहार आया खुशियां हजार लाया, करके सिंगार हाय मैं तो सज जाऊंगी की प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में चार चांद लगा दी। इस अवसर पर गुमला से कवि प्रेम हरि सहित वरिष्ठ शायर निहाल हुसैन सरैयावी सहित अन्य उपस्थित थे ।धन्यवाद ज्ञापन मनीषा सहाय ने किया।

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