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74वें स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संबोधन,

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74वें स्वतंत्रता दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का संबोधन,
गांधी मैदान, पटना। 
प्रिय बिहारवासियों, 74वें स्वतंत्रता दिवस के पावन अवसर पर समस्त बिहारवासियों को हार्दिक बधाई। आज का दिन हमारे लिए गौरव का दिन है। राष्ट्रभक्तों के साहस, त्याग एवं बलिदान के फलस्वरूप 15 अगस्त 1947 को हमारा देश आजाद हुआ। आज के दिन हम उन स्वतंत्रता सेनानियों को श्रद्धा-सुमन अर्पित करते हैं, जिन्होंने आजादी की लड़ाई में अपने प्राणों की आहुति दी। उनके उच्च आदर्श आज भी हमारे लिए प्रेरणा के स्रोत हैं। मैं उन वीर जवानों को भी नमन करता हूँ, जो बहादुरी से देश की सरहदों की सुरक्षा कर रहे हैं। उनके बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। देश के थल, जल और नभ की रक्षा करने वाले भारतीय सेना का हम अभिनंदन करते हैं। इतिहास इस बात का गवाह है कि बिहार ने स्वतंत्रता आंदोलन में अग्रणी भूमिका निभायी थी। बिहार के लोगों ने हमेशा राष्ट्रनिर्माण में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है और देश के लोकतंत्र को मजबूती प्रदान की है। आज का दिन महत्वपूर्ण है, ऐतिहासिक है, सबके लिए गौरव का दिन है लेकिन आप देख लीजिए हर साल किस प्रकार से कार्यक्रम होता था। कोरोना के चलते आज क्या स्थिति हो गई है। किसी एक जगह की बात नहीं है बल्कि पूरी दुनिया में, पूरे भारत में, पूरे बिहार में कोरोना का काफी प्रभाव है। सरकार इस बीमारी की रोकथाम के लिए शुरु से सचेत रही है और लगातार इस पर काम कर रही है। मैं इस पर काम करने के लिए सभी चिकित्सकों को तथा इस पेशे से जुड़े हुए तमाम कर्मियों को, नर्सेज को और जो लोग उनका सहयोग करते हैं, हमारे प्रशासनिक लोगों को, पुलिस के लोगों को, सबका मैं अभिनंदन करता हूं। 
कोरोना वायरस के संक्रमण की स्थिति:-
इस विषम परिस्थिति में सबलोग पूरी कोशिश कर रहे हैं, पूरी मेहनत कर रहे हैं ताकि लोगों को इससे राहत मिले, इससे छुटकारा मिले। आप सभी को पता है अपने देश में इसकी चर्चा मार्च से ही हुई है और हमलोगों ने 13 मार्च को पहली मीटिंग की थी। 16 मार्च को विधानमंडल का सत्र था, सर्वदलीय बैठक कर सबलोगों से बात करके 16 मार्च को ही सत्र को स्थगित कर दिया गया। उसके बाद जो स्थिति आ रही थी उसको देखते हुए ही हमलोगों ने बिहार में आंशिक लॉकडाउन का निर्णय 23 मार्च को ले लिया था लेकिन 24 मार्च को आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने घोषणा की और पूरे देश में 25 मार्च से लॉकडाउन लागू हो गया। चार चरणों में पूरे देश में लॉकडाउन को केंद्र सरकार ने लागू किया। इसके बाद अनलॉक एक और दो लागू किया गया। भारत सरकार द्वारा 01 अगस्त से अनलॉक-3 लागू किया गया। बिहार सरकार पूरे तौर पर केंद्र के अनलॉक-3 के लिए जो दिशा निर्देश हैं उसका पालन कर रही है। उसके अलावा जो भी आवश्यकता है उसे ध्यान में रखते हुए जरुरत पड़ने पर अतिरिक्त कदम उठाए जा रहे हैं। कोई और रिस्टिक्शन लागू करना पड़ता है, तो उसको किया जाएगा। सबलोग अपने स्तर पर लगे हुए हैं, जनप्रतिनिधि भी लगे हुए हैं। सबलोग अपने-अपने ढंग से काम करने की कोशिश कर रहे हैं। आप सबलोगों को मालूम है कि हमलोगों ने शुरु से ही कोई जांच की व्यवस्था प्रारंभ में नहीं की थी। जांच की व्यवस्था जब शुरुआती दौर में लागू हुई, जब लॉकडाउन लागू हुआ तो हमलोगों ने एक मीटिंग में तय किया कि हमलोग एक दिन में 20 हजार जांच करेंगे। इसके लिए कोशिश करते रहे, किट्स, इक्यूपमेंट्स बाहर से लाने के लिए प्रयास करते रहे। उसके बाद आप जानते हैं कि जब ये दौर बढ़ा, लॉकडाउन खत्म हुआ। उसके बाद से देखते हैं कि जून, जुलाई में किस तरह से कोरोना संक्रमण बढ़ा। ये सिर्फ यहां नहीं पूरे देश में, पूरी दुनिया में ये स्थिति बनी हुई है। हमने कहा कि बड़े पैमाने पर इसकी जांच की जानी चाहिए। जांच करने के लिए जो सिस्टम हमलोगों ने शुरु किया। सरकार के प्रयासों से जांच की संख्या में लगातार वृद्धि हुई है। लोग समझ रहे थे कि जांच 1 लाख प्रतिदिन अधिकतम होगा लेकिन आप जानते हैं कि कल 1 लाख 20 हजार से भी अधिक जांच हुई और ये सिलसिला हमलोग बढ़ाते जा रहे हैं। अधिक से अधिक जांच हो, सभी इच्छुक लोगों की जांच हो। प्रखंड स्तर पर प्राइमरी हेल्थ सेंटर में भी जांच का इंतजाम किया गया है, जो चाहेंगे उनकी भी जांच हमलोग करवा रहे हैं। 
इलाज की त्रिस्तरीय व्यवस्था:-
राज्य के जो निजी चिकित्सा संस्थान हैं उनको भी ये सुविधा दी जा रही है। इसके अलावा हमलोगों ने तीन स्तर पर जांच का इंतजाम कर रखा है। लक्षणों की गंभीरता के अनुसार, संक्रमित व्यक्तियों के इलाज के लिए कोविड केयर सेंटर, दूसरा कोविड हेल्थ सेंटर और तीसरा डेडिकेटेड कोविड हॉस्पीटल। ये तीनों प्रकार की व्यवस्था हमने की है। इसके लिए ऑक्सीजनयुक्त बेड, आई0सी0यू0 वेटिंलेटर की व्यवस्था हमलोग लगातार बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। कोरोना संक्रमित मरीजों को इलाज के लिए अब निजी अस्पतालों में भर्ती किया जाता है, उनकी भी भागीदारी हुई है। मरीजों एवं स्वास्थ्यकर्मियों हेतु जितने भी आवश्यक उपकरण और दवा की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। होम आइसोलेशन में जिन्हें रहने का सुझाव दिया जाता है उनकी भी जानकारी ली जाती है, मेडिकल किट दिए जाते हैं। दवाएं, मास्क एवं चिकित्सकीय सलाह हेतु पम्पलेट हंै, डॉक्टर से परामर्श लेने हेतु टेली मेडिशिन की सुविधा दी गई है। कॉल सेंटरों के माध्यम से सभी मरीजों के दैनिक स्वास्थ्य की जानकारी ली जा रही है। 
स्वास्थ्यकर्मियों के मनोबल बनाए रखने हेतु कार्य योजना:-
राज्य सरकार द्वारा स्वास्थ्यकर्मियों के मनोबल को बढ़ाने के लिए भी हमलोग काम कर रहे हैं। एक महीने के समतुल्य वेतन, प्रोत्साहन राशि के रुप में उनको देने का निर्णय लिया गया है। कर्तव्य के दौरान अगर किसी की कोरोना के कारण मृत्यु हो जाती है उस स्थिति में उनके आश्रित की अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति तो होगी ही और संबंधित कर्मी के रिटायरमेंट तिथि तक वेतन के बराबर पेंशन देने का प्रावधान किया गया है। केंद्र सरकार के द्वारा भी सभी स्वास्थ्यकर्मियों के लिए 50 लाख रूपये की बीमा की सुविधा दी गई है।
लॉकडाउन के कारण फंसे मजदूरों, छात्रों एवं अन्य लोगों की सहायता:-
लॉकडाउन की अवधि के दौरान बिहार के बाहर बहुत लोग फंसे हुए थे। कई मजदूर, छात्र एवं अन्य लोग फंसे हुए थे। उनसे संपर्क करने के लिए भी हमलोगों ने स्थानिक आयुक्त कार्यालय दिल्ली, यहां आपदा प्रबंधन का कार्यालय, मुख्यमंत्री सचिवालय इन सभी जगहों पर लोगों की बात सुनकर जो भी संभव होता था, किया गया। हमलोगों ने निर्णय लिया कि हमारे लोग जो बाहर फंसे हुए हैं उनको हम 1000 रुपए की सहायता देंगे। अन्य राज्यों में फंसे हुए लगभग 21 लाख यानि 20 लाख 95 हजार से भी ज्यादा लोगों को मुख्यमंत्री राहत कोष से 1000 रुपये प्रति व्यक्ति की दर से विशेष सहायता दी गई। विशेष ट्रेनों के माध्यम से जब लोगों का बिहार के बाहर से मई महीने में आना शुरु हुआ तो कुछ खास जगहों पर जहां कोरोना का बहुत प्रकोप था, वहां से आने वाले तमाम लोगों को हमलोगों ने यहां बनाए गए क्वारंटाइन केंद्रों पर रखा। 15 लाख से भी ज्यादा लोग क्वारंटाइन केंद्रों में रहे। उन्हें सब तरह की सुविधाएं, रहने का, भोजन का, चिकित्सकीय सुविधाएं उपलब्ध करायी गई। हमलोगों ने इन केंद्रों पर रहने वाले हरेक व्यक्ति पर 5300 रुपये खर्च किये।
लॉकडाउन के दौरान जरुरतमंदों की सहायता:-
लॉकडाउन के दौरान लोगों की सहायता की गई। लॉकडाउन की अवधि में राज्य सरकार की तरफ से 8 हजार 538 करोड़ रुपए खर्च किए गए और राज्य में 1 करोड़ 64 लाख राशन कार्डधारियों एवं राशन कार्ड हेतु चिन्हित परिवारों को 1000 रुपए प्रति परिवार की दर से 1640 करोड़ रुपए वितरित किये गये। केंद्र सरकार द्वारा तय किया गया है कि नवंबर तक प्रति व्यक्ति 5 किलो अनाज और 1 किलो दाल दिया जायेगा। हमलोगों ने तय कर दिया कि राशन कार्ड से जो भी वंचित हैं, किसी ने दरख्वास्त दिया और रिजेक्ट हो गया या पेंडिंग है उन सबलोगों को राशन कार्ड की सुविधा मिले। इसके बाद शहरी और देहाती इलाके में जीविका समूहों के माध्यम से जो राशन कार्ड से वंचित हैं उन्हें सुविधा मुहैया करायी गई। 23 लाख 38 हजार सुयोग्य परिवारों के लिए राशन कार्ड स्वी.त किए गए। 12 अगस्त 2020 तक 23 लाख 01 हजार लाभुक परिवारों के बीच राशन कार्ड वितरित किए जा चुके हैं। बाकी जो थोड़े बहुत बचे हैं उन्हें भी बहुत जल्द वितरित कर दिया जाएगा। 
असमय वर्षापात से उत्पन्न आपदाजनक स्थिति से निपटने के लिए कार्य:-
आप देख ही रहे हैं कि मौसम की क्या स्थिति रही है। फरवरी में भी वर्षा, मार्च में भी तीन दिन वर्षा, अप्रैल माह में भी वर्षा से लोग प्रभावित हुए। रबी की फसल प्रभावित हुई तो इसके लिए भी हमलोगों ने काम किया। .षि अनुदान इनपुट के तहत 18 लाख से अधिक किसानों को 568 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया। लॉकडाउन में विद्यालयों के बंद होने के कारण मैट्रिक एवं इंटर को छोड़कर सभी वर्ग के छात्र-छात्राओं को बिना वार्षिक परीक्षा में अगली परीक्षा में प्रोन्नत करने का निर्णय लिया गया। दूरदर्शन बिहार के माध्यम से कक्षावार शिक्षा दी जा रही है। 
अन्य राज्यों से लौटे मजदूरों के लिए रोजगार सृजन:- 
अन्य राज्यों से जो हमारे लोग लौटे हैं, जो बाहर काम करते थे, मजदूरी करते थे उनके लिए रोजगार सृजन के लिए भी हमलोगों ने प्रयास शुरु किया है। वापस आए मजदूरों की स्किल मैपिंग की गई। इच्छुक लोगों को राज्य में ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए पहल की गई। प्रत्येक जिले में उद्योग के 5 छोटे तथा दो बड़े क्लस्टरों का निर्माण करने हेतु कार्रवाई की जा रही है। इसके लिए हर जिले में 50-50 लाख रूपये की राशि उपलब्ध करायी गई है। राज्य में अधिक रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए अगले पांच साल के लिए नई औद्योगिक प्रोत्साहन नीति-2020 लागू की गई है।
सावधानी ही बचावः मास्क का उपयोग जरुरी है, सभी रहें सचेत:-
एक ही बात हम सबलोगों से अनुरोध करते हैं कि लोगों में कोरोना संक्रमण से भय नहीं सजगता होनी चाहिए, लोगों को सचेत होना चाहिए और उसके लिए जो खतरा बढ़ रहा है उससे बचने के लिए अमल करना चाहिए। लोगों को मास्क का प्रयोग करना चाहिए। मास्क उपलब्ध कराने के लिए भी हमलोग कोशिश कर रहे हैं। एक दूसरे से सोशल डिस्टेंसिंग यानि दो गज की दूरी बनाकर रखना चाहिए। हाथ को साबुन से साफ करना चाहिए। एक जो महत्वपूर्ण बात है 65 साल से अधिक उम्र के लोगों, गर्भवती महिलाओं को, जो अन्य बीमारियों से पीड़ित हैं पुरुष हों या स्त्री या 10 वर्ष तक के बच्चे और बच्चियों को घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए। अगर इलाज कराना है तो ही बाहर निकलें वरना उनको घर के अंदर रहना चाहिए। चूॅकि इनलोगों पर खतरा सबसे ज्यादा है। वैसी स्थिति में इस बात का पूरे तौर पर सावधानी बरतनी चाहिए। कोरोना से बचाव हेतु सरकार ये प्रयास कर रही है। सभी लोगों को सजग और सचेत रहने के बाद ही कोरोना से मुक्ति पायी जा सकती है। अब ये कोरोना के लिए जो भी संभव है किया ही जा रहा है। बहुत लोग तो बहुत तरह की बात बोलते रहते हैं। किसको क्या पता है। इस बीमारी का फैलाव पूरी दुनिया में है, इस बीमारी के बारे में कोई नहीं जानता था। सभी लोगों को लगता था कि मार्च के अंत में ये ठीक हो जाएगा। 35 डिग्री का टेम्प्रेचर आ जाएगा तो ये खत्म हो जाएगा। टेम्प्रेचर बढ़ने के बाद भी इस पर कोई असर नहीं हुआ। 
असमय वर्षापात से फसल बर्बादी और बाढ़ की स्थिति से बचाव के लिए कार्य:-
आप पटना का सोच लीजिये। एक से दो दिन ही 40 डिग्री टेम्प्रेचर हुआ और गया में उससे थोड़ा ज्यादा हुआ। गर्मी के दिन में भी पूरी गर्मीं नहीं पड़ी और आप देख ही रहे हैं कि रबी की फसल की बर्बादी किस तरह से हुई और आज कल क्या स्थिति बनी हुई है। इस स्थिति से सभी लोग वाकिफ भी हैं। शुरू से हमलोगों को बताया गया है कि 15 जून से मॉनसून शुरू होता है। इस बार तो 15 जून से पहले ही मॉनसून शुरू हो गया और नेपाल में भारी वर्षा हुई, जिसकी वजह से उत्तर बिहार के 16 जिले प्रभावित हो गए। 14 अगस्त, 2020 के आकड़े के अनुसार 16 जिलों में 130 प्रखंडों के अंतर्गत 1303 पंचायतों में लगभग 81 लाख से भी ज्यादा की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है। राज्य सरकार द्वारा बाढ़ में फंसे हुए लोगों की सुरक्षा के लिए उन्हें सुरक्षित स्थानों पर पहुँचाने की व्यवस्था की जा रही है। कुछ स्थानों पर जाना संभव नहीं था। एयर ड्रापिंग के माध्यम से बाढ़ प्रभावितों के बीच फूड पैकेट भी पहुंचाने के लिए काम किया गया है। बाढ़ राहत शिविर चलाये जा रहे हैं, वहां पर लोगों के रहने के लिए इंतजाम किये गये हंै और उसके अलावा सामुदायिक रसोई केंद्र बनाये गए हंै। इनमंे किसी दिन 10 लाख के करीब और अब 9 लाख लोगों के लिए भोजन करने का प्रबंध है। आप जान लीजिये हम एक दो जगह जा करके देख भी आए हैं। हमने शुरु से कहा है कि राहत केंद्र में रहने वाले और सामुदायिक रसोई केंद्र जिसमें भोजन का इंतजाम करते हैं, इन दोनों जगहों पर कोरोना की जांच जरूर करवाइये और जाॅच करायी भी जा रही है। कोरोना जांच से फायदा भी हुआ है। एक जगह 30-40 लोगों की जांच में पता चला कि चार लोग पॉजिटिव हैं। अगर जांच नहीं करायी गयी होती तो आप कल्पना कीजिए कि जो लोग भी वहां रहने या भोजन करने के लिए आते तो कितनी बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते। हमलोग ज्यादा प्रचारित नहीं करते, काम करने में विश्वास करते हैं और ये सब काम यहां पर किया जा रहा है। कल तक का जो फिगर हैं, जितने भी बाढ़ पीड़ित परिवार हंै आप तो जानते ही हैं कि जो भी आपदा पीड़ित लोग हैं सरकार के खजाने पर उनका सबसे पहला अधिकार है। जब से बिहार के लोगों ने हमलोगों को काम करने का मौका दिया है, हम 2006-07 से ही ये बातें कह रहे हैं। कहां किस राज्य में मिलता है ये हमको नहीं मालूम, पता करियेगा। यहां पर जो परिवार पीड़ित होते हैं उन सब लोगों को प्रति परिवार जी0आर0 रिलीफ दिया जाता है। वर्ष 2007 में तो हमलोगो ने एक-एक क्विंटल अनाज बांटा था। उसके बाद तो कोशी त्रासदी हुई तब हमलोगों ने ये तय किया कि 6000 हजार रुपये यानि 3000 हजार रूपये अनाज के लिए और बाकी 3000 हजार रूपये कपड़ा और बर्तन के लिए प्रति परिवार हम लोग देते हैं। पिछले वर्ष से तो सीधे उनके एकाउंट में रूपये भेजे जा रहे हंै। पिछले साल भी ये सुविधा शुरू कर दी गई और इस बार भी हमलोगों ने ये सुविधा शुरू कर दी और 14 अगस्त 2020 तक 7 लाख 79 हजार बाढ़ पीड़ित परिवारों को 6000 हजार रुपये की दर से 467 करोड़ रूपये जी0आर0 अनुग्रह सहायता राशि उनके खाते में पहुँच गई है। जो बाकी बचे प्रभावित परिवार हैं उनके खाते में दस दिनों के अंदर पैसा पहुँच जाएगा। बाढ़ से जहां कहीं भी फसल क्षति हुई है उसका भी आंकलन कराया जा रहा है और उनको भी सहायता दी जायेगी। इसके अलावा जिनकी मृत्यु हो जाती है उनको भी सहायता देने के साथ-साथ मृतक पशुओं के लिए भी सहायता दी जायेगी। बाढ़ की स्थिति पर तो नजर रखी जा रही है। जून, जुलाई और अगस्त महीने में वर्षापात की ये स्थिति है। सितम्बर और कभी-कभी अक्टूबर माह में भी बाढ़ की स्थिति उत्पन्न होती है। हमलोग तो लगातार इस पर नजर रखे हुए हैं और हमलोग का जो भी संकल्प है उसके आधार पर काम करते हैं। जो हमारी अद्यतन समस्या है इसके लिए हमलोग पूरे तौर पर काम कर रहे हैं।
विधि व्यवस्था एवं सामाजिक सौहार्द के लिए किया गया कार्य:-
बिहार के लोगों ने हमलोगों को जिम्मेवारी दी है, उसका ये तीसरा टर्म चल रहा है। हमलोगों ने विधि व्यवस्था और सामाजिक सौहार्द्र कायम रखने के लिए काम किया है। आप सभी जानते हैं शुरूआती दौर से ही हमलोगों ने तय किया था कि पुलिस थाने में एक तरफ लॉ एंड ऑर्डर का काम देखेंगे और दूसरी तरफ इन्वेस्टिगेशन करेंगे। इसमें समय लगा और ये पिछले साल से लागू हो गया। हर प्रकार से हमलोग काम करने की कोशिश कर रहे हैं। पहले कितना अपराध होता था, अब क्या होता है ? राष्ट्रीय अपराध अभिलेख ब्यूरो द्वारा वर्ष 2018 में पूरे देश के अपराध के बारे में आंकड़े प्रकाशित हुये। राष्ट्रीय स्तर पर अपराध के आंकड़ों के अनुसार, देश भर के राष्ट्रीय अपराध में संज्ञेय अपराध का औसत दर 01 लाख की जनसंख्या पर 383.05 है। देश के औसत से बिहार का काफी कम 222.01 है। ये जान लीजिए अपराध भी बहुत ज्यादा नियंत्रित हुआ है। कुछ भी आप कर लीजिये लेकिन कुछ आदमी गड़बड़ करेगा, बायें-दायें करेगा। अपराध के मामले में बिहार 23वें स्थान पर है। इतना बड़ा राज्य है और इतनी बड़ी आबादी है तब ये स्थिति है। इसके अलावा साम्प्रदायिक सौहार्द्र और सामाजिक सद्भाव के लिए हर तरह का काम हमलोग करते हैं। कब्रिस्तान की घेराबंदी का निर्णय हमलोगों ने लिया। कुल लक्षित कब्रिस्तान जिनकी पहचान की गई थी 2006 में 8 हजार 64 है उसके विरुद्ध 6 हजार 299 की घेराबंदी की जा चुकी हैं। क्राइम, करप्शन और कम्यूनिलिज्म के प्रति हमलोगों की जीरो टॉलरेंस की नीति है और ये हमेशा रहेगा। बार बार हम कहते हैं, जब भी हम अपराध का विश्लेषण करते हैं खास करके मर्डर का विश्लेषण करवाते हंै तो 60 प्रतिशत सम्पति और भूमि विवाद का कारण पता चलता है। आप सबको मालूम तो है कि सर्वे सेटलमेंट का काम और एरियल सर्वे भी करवा रहे हैं। इस काम को पूरा करने के लिए भौतिक सत्यापन के लिए 6,308 अमीनांे एवं अन्य पदाधिकारियों की नियुक्ति की गई है ताकि ये काम हो जाए। इसके अलावा पारिवारिक बँटवारे का निबंधन शुल्क 8 प्रतिशत लगता था और उसके चलते रजिस्ट्रेशन नहीं होता था। इसको देखते हुए हमलोगों ने निबंधन शुल्क सांकेतिक रूप से मात्र 100 रुपये कर दिया। जमीन का बंटवारा हो जाने से विवाद घटेगा। दाखिल खारिज को लोक सेवा अधिकार कानून के दायरे में लाकर इसे अद्यतन करने का अभियान भी चलाया जा रहा है ताकि यह पेंडिंग न रहे। भूमि विवाद के निपटारे के लिए सभी जगह जो सर्किल ऑफिसर और थाना प्रभारी हैं उन्हें हर थाने में प्रत्येक सप्ताह एक मीटिंग कर विवादों का समाधान करना है। इसका अनुश्रवण करने के लिए एस0डी0ओ0 और डी0एस0पी0 को दो सप्ताह (15 दिन) में एक दिन मीटिंग करनी है। इसके लिए जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक/वरीय पुलिस अधीक्षक माह में एक दिन मीटिंग करेंगे। इस प्रकार हमलोगों ने एक-एक काम करने की कोशिश की है।
प्रशासनिक सुधार:-
प्रशासनिक सुधार के लिए भी अनेक काम किये गये। ब्लॉक, सब डिविजन और जिला में जाति, आय, आवास जैसे अन्य सर्टिफिकेट के लिए लोगों को चक्कर लगाना पड़ता था। इसके लिए हमलोगों ने वर्ष 2011 में बिहार लोक सेवाओं का अधिकार कानून शुरू किया। जाति, आय, आवास प्रमाण पत्र बनाने के लिए लोक सेवा अधिकार कानून का फायदा उठाने वाले 75 प्रतिशत लोग हैं। इसके लिए अलग केंद्र बना दिये गये। लोक सेवा अधिकार कानून के तहत अब तक 23 करोड़ 88 लाख आवेदनों का निष्पादन हुआ है। हमने वर्ष 2016 में बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून लागू किया। इसमें निर्धारित समय सीमा के अंदर शिकायतों का निपटारा तेजी से होता है। अब तक 07 लाख 03 हजार से अधिक आवेदनों का निष्पादन हुआ है। लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून में संशोधन कर हाल ही में राशन कार्ड को भी इस कानून के दायरे में लाया गया है। पहले राशन कार्ड बनाने का काम सिर्फ लोक सेवा अधिकार कानून के दायरे में ही था। अब कोई भी असंतुष्ट व्यक्ति लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून का फायदा उठा सकता है। इस टेन्योर में हमलोगों ने सरकारी अधिकारी और कर्मियों के लिए बिहार सरकारी सेवक शिकायत निवारण प्रणाली लागू करने का निर्णय लिया और वर्ष 2019 में इसे लागू भी कर दिया गया। इसके अंतर्गत अब तक सरकारी सेवकों के 2,227 आवेदनों का निष्पादन हुआ है। यह मार्च के पहले का आंकड़ा है क्योंकि कोरोना के कारण सभी चीजें अव्यवस्थित हो गयीं। 
आधारभूत संरचना:- हमलोगों ने आधारभूत संरचना के लिए काफी काम किया है। पहले कितनी सड़कें थीं और अब कितनी सड़कें हैं। हमलोगों ने बिहार के सुदूरवर्ती इलाके से 06 घंटे में पटना पहुंचने के लक्ष्य को लगभग प्राप्त कर लिया है। अब 05 घंटे के अंदर पटना पहुंचने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इसके लिए अनेक सड़कों और पुलों का निर्माण तथा पुरानी सड़कों का चैड़ीकरण कराया जा रहा है। हमलोगों ने सड़कों और पुलों के निर्माण के साथ-साथ उसका अनुरक्षण करने का भी निर्णय लिया है। इसे भी लोक शिकायत निवारण अधिकार कानून के दायरे में लाया गया है। यह व्यवस्था सुनिश्चित करायी गयी है कि अब सड़कें सिर्फ बनेंगी ही नहीं बल्कि उसका निरंतर मेंटेनेंस भी होगा। राज्य योजना के अंतर्गत पथों और पुलों के निर्माण को देखें तो वर्ष 2005 के बाद 6,047 पुलों का निर्माण किया गया है, जिसमंे 18 मेगा पुल शामिल हैं। इसके अलावा बड़ी संख्या में पुलियों का निर्माण भी कराया गया है। राज्य सरकार की तरफ से वर्ष 2005 के बाद से अब तक सड़कों के निर्माण पर 54,461 करोड़ रूपये की राशि व्यय की गयी है। राज्य सरकार द्वारा वर्ष 2005 के बाद ग्रामीण सड़कों के निर्माण में 34,287 करोड़ रुपये खर्च किये गये हैं। हमने 15 अगस्त 2012 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर अपने संबोधन में कहा था कि हमलोग बिजली की स्थिति में सुधार ला रहे हैं और अगर बिजली की स्थिति में सुधार नहीं आया तो वर्ष 2015 के चुनाव में लोगों के बीच वोट मांगने नहीं जायेंगे। बिजली की स्थिति में काफी सुधार आया और वर्ष 2015 के बाद हमलोगों ने इसे सात निश्चय में शामिल किया। सात निश्चय के अंतर्गत दिसम्बर 2018 तक हर इच्छुक परिवार को बिजली उपलब्ध कराने का लक्ष्य निर्धारित किया गया और यह काम अक्टूबर 2018 में ही पूरा हो गया। हर घर तक बिजली पहुंचा दी गयी। इसके बाद बिजली के सभी जर्जर तार बदले गये। हमलोगों ने .षि कार्य के लिए अलग .षि फीडर बनाकर हर इच्छुक किसान को बिजली पहुँचाने का काम शुरू किया है। वर्ष 2005 के बाद बिजली के क्षेत्र में 48,678 करोड़ रूपये खर्च किये गये।
समृद्ध विरासत और गौरवशाली इतिहास:- 
बिहार का इतिहास गौरवशाली रहा है इसलिए समृद्ध विरासत को ध्यान में रखते हुए अनेक महत्वपूर्ण स्थलों के उत्खनन का कार्य जारी है। बिहार म्यूजियम का निर्माण जब हो रहा था तो कुछ लोगों ने क्या-क्या नहीं कहा। अब बिहार म्यूजियम की कितनी चर्चा हो रही है। पटना म्यूजियम के विस्तारीकरण की भी स्वी.ति दे दी गयी है। उसका भी काम शुरू होने वाला है। वह भी बनेगा तो देखने लायक होगा। मुख्य सचिव को हमने कह दिया है कि मेरी इच्छा है कि बिहार म्यूजियम और पटना म्यूजियम को अंडरग्राउंड जोड़ दीजिये ताकि लोग एक-दूसरे का भ्रमण कर सकें। अब यहां साइंस सिटी का भी निर्माण हो रहा है और उसका नामकरण पूर्व राष्ट्रपति डॉ0 ए0पी0जे0 अब्दुल कलाम के नाम पर होगा। गाँधी मैदान के सामने सम्राट अशोक कन्वेंशन केंद्र में ज्ञान भवन और बापू सभागार का निर्माण कराया गया और इसके पिछले हिस्से में सभ्यता द्वारा बनाया गया। बापू सभागार में 5,000 से अधिक लोगों के बैठने की क्षमता है। इसके अलावा सरदार पटेल भवन का निर्माण कराया गया जो 9 रिक्टर स्केल पर भी अगर भूकंप आएगा तो वह सुरक्षित रहेगा। वहां आपदा प्रबंधन का मुख्यालय और पुलिस मुख्यालय बनाया गया ताकि वहां से हर परिस्थिति में लोगों को राहत देने का काम किया जा सके। वैशाली में बुद्ध सम्यक दर्शन संग्रहालय एवं स्मृति स्तूप का निर्माण कार्य जारी है। बोधगया में महाबोधि सांस्.तिक केंद्र बोधगया का निर्माण कार्य जारी है।शिक्षा – समग्र मानव विकास पर विशेष ध्यान:-
शिक्षा के क्षेत्र में लडकियों के लिए हमलोगों ने कई योजनायें शुरू कीं, जिसका प्रतिफल यह हुआ कि वर्ष 2019 की मैट्रिक की परीक्षा में उत्तीर्ण होने वालों में लड़कों से अधिक लड़कियों की संख्या थी। बिहार का प्रजनन दर तो बहुत ज्यादा है और आबादी का घनत्व अधिक है। वर्ष 2011 के आकंड़ों के मुताबिक देश का जनसंख्या घनत्व प्रति वर्ग किलोमीटर में करीब 380 है और बिहार में 1,100 से भी ज्यादा है। बिहार के लोगों ने जब हमें काम करने का मौका दिया तो प्रजनन दर 4.3 था जो अब घटकर 3.2 हो गया है। हम बराबर इस बात की चर्चा करते हैं कि जब हमलोगों ने आकलन किया कि अगर पति-पत्नी में पत्नी मैट्रिक पास है तो पूरे देश का औसत प्रजनन दर 02 है और बिहार का भी औसत प्रजनन दर 02 है। यदि पत्नी इंटर पास है तो देश का औसत प्रजनन दर 1.7 है और बिहार का औसत प्रजनन दर 1.6 है। इसे ध्यान में रखते हुए हमलोगों ने हर पंचायत में उच्च माध्यमिक विद्यालय बनाने का निर्णय लिया और पिछले साल ही आकलन में हमने देखा कि 5,081 पंचायतों में उच्च माध्यमिक विद्यालय बन गया है। शेष 3,305 पंचायतों में पूरी मजबूती से काम शुरू किया गया है। इस साल अप्रैल माह से ही सभी पंचायतों में 9वीं क्लास की पढ़ाई शुरू होने वाली थी लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण नहीं हो सकी है। अब जब भी पढ़ाई शुरू होगी हर पंचायत में 9वीं क्लास की पढ़ाई प्रारम्भ हो जाएगी। इससे बिहार की एक बड़ी समस्या का समाधान हो जाएगा।
स्वास्थ्य क्षेत्र:- स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी हमलोगों ने काफी काम किया है। वर्ष 2006 में हमने आकलन कराया तो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक माह में औसतन 39 व्यक्ति यानि एक दिन में 01 व्यक्ति अपना इलाज कराने के लिए पहुंचते थे। अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में एक माह में 10,000 लोग इलाज के लिए जाते हैं। बिहार में नये-नये मेडिकल कॉलेज बनाये जा रहे हैं। हमने बिहार में पोलियो का उन्मूलन किया। पल्स पोलियो अभियान के बाद एक भी पोलियो का मामला दर्ज नहीं हुआ है। पहले बिहार में नियमित टीकाकरण मात्र 18 प्रतिशत था। हमने इसको बढ़ाया और हमने अब तय कर दिया कि देश के टॉप 5 राज्यों में से एक हमारा बिहार रहेगा। बिहार में अब टीकाकरण 86 प्रतिशत हो चुका है। हम हर क्षेत्र में काम कर रहे हैं।
.षि:- .षि के क्षेत्र में उत्पादन में वृद्धि को लेकर भी काम किया गया है। अभी तीसरे .षि रोड मैप पर काम चल रहा है। इससे उत्पादकता बढ़ी है। कौन सा काम हमलोग नहीं कर रहे हैं ? मौसम के अनुकूल फसल चक्र के लिए हमने पहले 8 जिलों से काम शुरु किया। इसे अब सभी 38 जिलों में लागू कर दिया गया है। एक-एक काम हमलोग कर रहे हैं। फसल अवशेष को लोग जला देते हैं। इसके खिलाफ हमलोग अभियान चला रहे हैं। फसल अवशेष को लोग नहीं जलायें, इसके लिए हमलोग अनुदान देते हैं। फसल अवशेष जिसको पराली कहते हैं, इसके प्रबंधन के लिए चार .षि यंत्रों पर राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि 75 प्रतिशत का अनुदान किसानों को दिया जा रहा है। अनुसूचित जाति-जनजाति, अति पिछड़े वर्ग के किसानों को 80 प्रतिशत का अनुदान दिया जा रहा है। कंबाइंड हार्वेस्टर के कारण लोगों ने पराली को जलाना शुरु किया। इससे ही ये समस्या आयी है। बिहार के भी कई जिलों में ये शुरु हो गया है। इससे बचने के लिए हमलोग चार .षि यंत्रों पर अनुदान दे रहे हैं। बुआई के लिए हैप्पी सीडर एवं जीरो टिलेट मशीन, फसल अवशेष को काटकर छोटे-छोटे टुकड़ों में बिछाने के लिए रोटरी कल्चर, फसल अवशेष को इकट्ठा करने के लिए स्ट्रॉ रीपर एवं स्ट्रॉ बेलर, फसल काटने एवं बंडल बनाने के लिए रीपर कम बाइंडर यंत्र पर हमलोग अनुदान दे रहे हैं। बिहार में फसल बीमा योजना को समाप्त करके बिहार राज्य फसल सहायता योजना शुरु की गयी है। मछली का उत्पादन 2007-08 में 2 लाख 61 हजार मीट्रिक टन था जो अब बढ़कर 6 लाख 41 हजार मीट्रिक टन हो गया है। बिहार इनलैंड मछली उत्पादन में चैथे स्थान पर पहुंच गया है। अब राज्य में चावल, गेहूं और मक्के की उत्पादकता लगभग दोगुनी हो गई है। हमें आगे अगर मौका मिलेगा तो किसानों के हर खेत तक सिंचाई के लिए पानी पहुंचा देंगे। इसको लेकर सर्वेक्षण का काम शुरु हो गया है। 
न्याय के साथ विकास: हर इलाके का विकास और हर तबके का उत्थानः-
न्याय के साथ विकास हमारा लक्ष्य है। हर इलाके का विकास और हर तबके का उत्थान हमारा लक्ष्य है। जो हाशिये पर हैं उनको मुख्य धारा से जोड़ने के लिए काम कर रहे हैं। महिलाओं, अनुसूचित जाति-जनजाति, अल्पसंख्यक समुदाय, अति पिछड़े वर्ग के उत्थान के लिए काम कर रहे हैं।
महिला सशक्तिकरण:-
महिलाओं के लिए प्राथमिक शिक्षक नियोजन में 50 प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान हमने किया है। पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकायों में महिलाओं को 50 प्रतिशत आरक्षण देने वाला बिहार देश का पहला राज्य है। इसके साथ ही पुलिस बल में महिलाओं को 35 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। पुलिस सेवा में जितनी महिलाएं बिहार में हैं उतनी शायद ही किसी राज्य में देखने को मिलेंगी। इसके बाद हमलोगों ने 7 निश्चय के तहत सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत का आरक्षण का प्रावधान महिलाओं के लिए किया। महिलाओं में जागृति लाने के लिए हमलोगों ने जीविका समूह का गठन किया। हमारा लक्ष्य 10 लाख स्वंय सहायता समूह बनाने का था। मुझे खुशी है कि अब तक 10 लाख से ज्यादा स्वंय सहायता समूह का गठन हो गया है। ये संख्या आगे और बढ़ेगी। जीविका समूह के माध्यम से महिलाओं में काफी जागृति आई है।बेटी के बिना ये धरती नहीं चलने वाली है। बेटी समाज के लिए जरुरी है। बेटी होने पर लोगों को खुशी हो इसको लेकर हमलोगों ने नई स्कीम बनाई। बेटी के जन्म लेने से लेकर ग्रेजुएशन तक की शिक्षा ग्रहण करने पर 54,100 रुपये की प्रोत्साहन राशि हमलोग दे रहे हैं। लड़की के जन्म लेने पर 2,000 रुपये, आधार से पंजीयन करने पर 1,000 रुपये, दो महीने के अंदर टीकाकरण करने पर 2,000 रुपये दिये जा रहंे हंै। इसके साथ ही पोशाक योजना के तहत पहली और दूसरी कक्षा के लिए 400 रुपये से बढ़ाकर 600 रुपये, तीसरी से पांचवी कक्षा तक के लिए 500 से बढ़ाकर 700 रुपये, 6-8वीं कक्षा के लिए 700 रूपये से बढ़ाकर 1,000 रुपये और 9वीं से 12वीं कक्षा के लिए पोशाक राशि 1,000 रूपये से बढ़ाकर 1500 रुपये कर दिये गये हंै। सैनेटरी नैपकीन के लिए पहले 150 रुपये दिये जाते थे इसे अब बढ़ाकर 300 रुपये कर दिया गया है। अविवाहित लड़की के इंटर पास करने पर 10,000 रुपये का प्रावधान किया गया है। विवाहित या अविवाहित लड़की के ग्रेजुएट होने पर 25,000 रुपये दिये जाते हंै। अनुसूचित जाति/जनजाति, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय, अति पिछड़ा वर्ग सभी के लिए हमलोगों ने पहल की है। सभी वर्गों के उत्थान के लिए हमलोगों ने काम किया है। मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना:- हमलोगों ने मुख्यमंत्री ग्राम परिवहन योजना शुरु की है। इस योजना के तहत सभी पंचायतों में 5 वाहनों की खरीद पर 50 प्रतिशत का अनुदान दे रहे हैं। सभी पंचायतों में 3 अनुसूचित जाति/जनजाति और 2 अति पिछड़े वर्ग के लोगों को इसका लाभ मिल रहा है। अब तक 41,930 आवेदनों के विरुद्ध 27,005 लाभुकों को इस योजना का लाभ मिला है।

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