मुख्यमंत्री के समक्ष जल संसाधन विभाग ने उत्कृष्ट
सिंचाई उन्नत फसल अभियान तथा बागमती बाढ़
प्रबंधन योजना फेज-3 बी एवं 5 का दिया
प्रस्तुतीकरण
हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुॅचाना हमारा लक्ष्य है:-
मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री के निर्देश- प्लाॅट-वार सर्वेय कराया जाय ताकि सिंचाई की
अधीकतम क्षमता एवं लक्ष्य का सही आंकलन किया जा सके।
टीम बनाकर सर्वे में यह आंकलन कराएं कि किस एरिया में, किस तरह का
एरिगेशन कराया जाए, स्थानीय लोगों से भी मिलकर विचार-विमर्श करें।
हर खेत तक सिंचाई के लिये पानी पहुचाने हेतु सिंचाई क्षमता का आंकलन
करायें। किस क्षेत्र में पानी की कितनी उपलब्धता है, किस एरिया में कैसे
पानी पहुंचेगा, इसका आंकलन करें तथा लक्ष्य की प्राप्ति के लिए रणनीति
बनाये।
नदियों को आपस में जोड़ने की स ंभावनाओं को तलाशें।
मॉनसून अवधी में वर्षा जल के अधीक से अधीक संचयन एवं सदुपयोग की
योजना बनायें। सिंचाई कार्य के लिए सतही जल का उपयोग अधिक से
अधिक हो सके, इसके लिए भी योजना बनाये।
रेन वाटर हार्वेस्टिंग का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर भू-जल स्तर बढ़ाने के
लिए कार्य करें।
परंपरागत सिंचाई क्षमता को फिर से पुनजीर्वित करने के लिये आहर, पईन,
पोखर का जिर्णोद्धार जल संचयन हेतु जल-जीवन-हरियाली अभीयान के
अंतर्गत कराया जा रहा है। इस कार्य में भी तेजी लायें।
वृहद एवं मध्यम परियोजनाओं के माध्यम से सिंचाई क्षमता को और बढायें।
खेतों की सिंचाई के लिए इच्छुक किसानो को एग्रीकल्चर फीडर के माध्यम
से विद्युत कनेक्षन उपलब्ध कराये जा रहे है ताकि उन्हें सिंचाई कार्य में कम
खर्च हो। किसानो को सिंचाई करने में डीजल से जहाॅ 100 रूपये का खर्च
आता है, वहीं बिजली से मात्र 5 रूपये का ही खर्च आता है।
सिंचाई हेतु इस्तेमाल किये जाने वाले स्टेट ट्यूबवेल पंचायतों को ट्रांसफर
किये जा चुके हैं। इससे किसानों को सिचाई में सुविधा मिलेगी।
चैर क्षेत्र के एक भाग में जल संचयन हेतु नीचे मछली, ऊपर बिजली के
कॉन्सपेट पर तेजी से काम करें। साथ ही साथ उसके दूसरे भाग में फल,
सब्जी एवं अन्य फसलों की खेती कार्यो काे बढ़ावा दें, इससे दुगुना फायदा
होगा।
सिंचाई के अत्याधुनिक पद्धतियाें काे भी अपनाकर जल के उपयोग की दक्षता
में वृद्धि करें। अधिकतम सिंचन क्षमता का विकास करें।
शहरी क्षेत्रों के निचले इलाको में ग्राउंड वाटर हार्वेयसृस्टिंग का कार्य करें, इससे
जलजमाव से निजात मिल सकेगी तथा भू-जल स्तर भी मेनटेन रहेगा।
बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज-3 बी एवं 5 के प्रस्तुतीकरण के क्रम में
मुख्यमंत्री ने निर्देश दिया कि तटबंधाें के निर्माण के दौरान उसकी मजबूती के
लिए यथासंभव आयरन सीट पायलिंग का प्रयाेग करें।
कुषेष्वरस्थान में बाढ़ से सुरक्षा एवं जलनिकासी के लिये सुदृढ़ीकरण का कार्य शीघ्र करें।
पटना, 28 जून 2020:- मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के समक्ष 1 अणे मार्ग स्तिथि संकल्प में जल
संसाधन विभाग द्वारा उत्कृष्ट सिंचाई उन्नत फसल अभियान, बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज-3
बी एवं 5 का प्रस्तुतीकरण दिया गया।
प्रस्तुतीकरण के दौरान मुख्यमंत्री ने कहा कि हर खेत तक सिंचाई का पानी पहुॅचाना
हमारा लक्ष्य है। उन्हाेंने निर्देश देते हुये कहा कि पूरे राज्य में प्लाॅट-वार सर्वे कराया जाय ताकि
सिंचाई की अधिकतम क्षमता एवं लक्ष्य का सही आंकलन किया जा सके। टीम बनाकर सर्वे में
यह भी आंकलन कराएं कि किस एरिया में, किस तरह का एरिगेशन कराया जाए। इस कार्य में
स्थानीय लाेगाें से भी मिलकर विचार-विमर्श करें। उन्हाेंने कहा कि हर खेत तक सिंचाई के लिये
पानी पहुंचाने हेतु सिचाई क्षमता का आंकलन करायें। किस क्षेत्र में पानी की कितनी उपलब्धता
है, किस एरिया में कैसे पानी पहुंचेगा, इसका आंकलन करें। लक्ष्य की प्रप्ति के लिए रणनीति
बनायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि नदियों काे आपस में जाेड़ने की संभावनाओ को तलाशें। मॉनसून
अवधि में वर्षा जल के अधिक से अधिक संचयन एवं सदुपयोग की याेजना बनायें। उन्हाेंने कहा
कि सिंचाई कार्यो के लिए सतही जल का उपयोग अधिक से अधिक हाे सके, इसके लिए भी
याेजना बनायें। रेन वाटर हार्वेस्टिंग का ज्यादा से ज्यादा उपयोग कर भू-जल स्तर बढ़ाने के
लिए कार्य करें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि वृहद एवं मध्यम परियोजनाओ के माध्यम से सिंचाई क्षमता काे और
बढ़ायें। परंपरागत सिंचाई क्षमता काे फिर से पुर्नजीवित करने के लिये आहर, पईन, पाेखर का
जीणाेजद्धार जल संचयन हेतु जल-जीवन-हरियाली अभीयान के अंतर्गत कराया जा रहा है। इस
कार्य में भी तेजी लायें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि खेताें की सिंचाई के लिए इच्छुक किसानाें काे एग्रीकल्चर फीडर के
माध्यम से विद्युत कनेक्षन उपलब्ध कराये जा रहे है ताकि उन्हें सिंचाई कार्य में कम खर्च हाे।
किसानों काे सिंचाई करने में डीजल से जहाॅ 100 रूपये का खर्च आता है, वहीं बिजली से मात्र
5 रूपये का ही खर्च आता है। उन्हाेंने कहा कि सिंचाई हेतु इस्तेमाल किये जाने वाले स्टेट
ट्यूबवेल पंचायताें काे ट्रासफर किये जा चुके हैं। इससे किसानाें काे सिंचाई में सुविधा मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चैर क्षेत्र के एक भाग में जल संचयन हेतु नीचे मछली, ऊपर
बिजली के कॉन्सेप्ट पर तेजी से काम करें। साथ ही साथ उसके दूसरे भाग में फल, सब्जी एवं
अन्य फसलों की खेती कार्य काे बढ़ावा दें, इससे दुगुना फायदा हाेगा। उन्हाेंने कहा कि सिंचाई
के अत्याधुनिक पद्धतियाें काे भी अपनाकर जल के उपयोग की दक्षता में वृद्धि करें। अधिकतम
सिंचन क्षमता का विकास करें। उन्हाेंने कहा कि शहरी क्षेत्राें के निचले इलाकाें में ग्राउंड वाटर
हार्वेस्टिंग का कार्य करें, इससे जलजमाव से निजात मिल सकेगी तथा भू-जल स्तर भी मेनटेन
रहेगा।
बागमती बाढ़ प्रबंधन योजना फेज-3 बी एवं 5 के प्रस्तुतीकरण के क्रम में मुख्यमंत्री ने
निर्देश दिया कि तटबंधाें के निर्माण के दौरान उसकी मजबूती के लिए यथासंभव आयरन सीट
पायलिंग का प्रयोग करें। उन्हाेंने कहा कि कुषेष्वरस्थान में बाढ़ से सुरक्षा एवं जलनिकासी के
लिये सुदृढ़ीकरण का कार्यो शीघ्र करें।
इस अवसर पर जल संसाधन मंत्री संजय झा, मुख्य सचिव दीपक कुमार, जल
संसाधन विभाग के सचिव संजीव हंस, कृषि तथा पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सचिव
एन0 सरवन कुमार, मुख्यमंत्री के सचिव मनीष कुमार वर्मा, मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम
कुमार, मुख्यमंत्री के विशेष कार्य पदाधिकारी गाेपाल सिंह सहित जल संसाधन विभाग के अन्य वरीय अभियंतागण एवं तकनीकी पदाधिकारी उपस्थित थे