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गीतों एवं गजलों से सराबोर रहा
“सृजन संसार” की मासिक काव्य गोष्ठी,

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गीतों एवं गजलों से सराबोर रहा
“सृजन संसार” की मासिक काव्य गोष्ठी,


रांची।

“सृजन संसार “रांची के तत्वावधान में ऑनलाइन मासिक कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया ।प्रसिद्ध साहित्यकार डॉक्टर शिशिर सोमवंशी प्रयागराज उत्तर प्रदेश की अध्यक्षता तथा सदानंद सिंह यादव के संयोजन एवं स्नेहा राय के संचालन में झारखंड सहित कई राज्यों के कवियों ने शिरकत की। कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. सुरेंद्र कौर नीलम द्वारा प्रस्तुत – वीणा वादिनी वर दे…. से हुआ । दुर्गापुर बंगाल से रणजीत कुमार ने – मत सोच किसने सुनी तुम्हारी कविता, किसने सुना तुम्हारा गीत….. प्रस्तुत किए । गीता चौबे गुंज ने – कनक- रश्मि यों का मेला है ,लगा हुआ चहुं ओर…. / तरुओं की फुनगी पर चमके सुंदर सोनिल भोर । सारिका भूषण ने – नहीं आता हुनर पापा की तरह जो फटी जेब में भी मुस्कुराहटें संभाल लाते थे …। मीनू मीना सिन्हा मीनल ने – मन शरीर आत्मा का मिलन है योग, अपनाए सभी इसे हो जाएं निरोग …। संध्या चौधरी उर्वशी ने- खामोशी ओढ़े बैठे हुए हैं अहसास जज्बात ख्वाब ,किसी शीला के समान तुम आ जाओ तो चल पड़ेंगे चंचल नदी के समान …। संगीता सहाय अनुभूति ने
हास्य परिहास के दम पर जीवन जिंदा है…. प्रस्तुत की। बीना प्रसाद विम्मी ने – बंद आंखों में …आदतें और अल्फाज आईना हैं परवरिश का / लाजिम है हरकतों पर लगाम कसा कीजिए… । डॉ. सुरेंद्र कौर नीलम ने- कितना कुछ सह जाते बाबा ,क्यों न कुछ कह पाते बाबा… / नेहाल हुसैन सरैयावी ने -हर बार हमें एक नया तजरबा हुआ,
गुज़रे हैं जितनी बार भी तेरी गली से हम/
मालूम है नेहाल को हर राज़ तुम्हारा,
करते नहीं इस बात का चर्चा किसी से हम …। रेनू वाला धार ने इस दुनिया में जो हमें लाते उंगली पकड़कर चलना सिखाते पहली बार दुनिया दिखला ते नाम पिता का जो दे जाते हैं….। रितेश पोद्दार ने मुझे मालूम है मेरी नियति…। सदानंद सिंह यादव ने -चांद बड़ा हो गया शीर्षक कविता तथा किसान गीत प्रस्तुत किया। रजनी शर्मा चंदा ने- मिलने को आएंगे मेरे मोरे सजन ,धीरे धीरे से होले होले से ओ री पवन ..। स्नेहा राय ने गजल- मुंतज़िर है कोई आवाज लगाओ तो सही ,गीत अब कोई नहीं राहों का गाओ तो सही …..।कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ. शिशिर सोमवंशी ने एक आंसू था फिर उभर आया उसकी आंखों में मैं उतर आया… की प्रस्तुति कर कार्यक्रम में चार चांद लगा दिए । सुनील सिंह बादल ने अपनी प्रस्तुति देते हुए कहा कि -हम पूरव वाले हैं… / हम योग की बात करते हैं वो भोग की बात करते हैं…। पितृ दिवस पर -पिता नारियल होता है जड़े गहरी और बाहर से कठोर अंदर निर्मल जल का प्रवाह होता है…. की प्रस्तुति दिए ।इस कार्यक्रम में कई अन्य कवियों ने भी अपनी प्रस्तुति देकर कार्यक्रम में अपनी वाहवाही लूटी ।धन्यवाद ज्ञापन सदानंद सिंह यादव ने किया।

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