आस्था मुंगेर स्पेशल रिपोर्ट

श्रावणी मेला 2020 : करोना का आतंक, आस्था पर ग्रहण, – डा. सुरेश कुमार,

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श्रावणी मेला 2020 : करोना का आतंक, आस्था पर ग्रहण,

विश्व प्रसिद्ध मेले पर गहरा रहा है कोरोना का संकट,

5 जुलाई से 3 अगस्त तक चलेगा मेला,

प्रतिदिन डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु 100 किलोमीटर पैदल यात्रा कर पहुंचते रहे हैं सुल्तानगंज से देवघर,

मुंंगेर।

श्रावणी मेला 2020 इस वर्ष 5 जुलाई से शुरू होकर 3 अगस्त तक चलेगा। 8 जून से सभी मंदिर मस्जिद के दरवाजे खोल दिए गए हैं और श्रद्धालुओं की भीड़ भी मंदिरों की ओर मुखातिब होने लगे हैं, पर सरकार के निर्देशों का पालन मंदिर मस्जिदों में नहीं हो पा रहा है। ऐसे में प्रश्न उठता है कि क्या विश्व प्रसिद्ध मेले पर भी कोरोना के संकट का बादल छाया रहेगा। इतिहास गवाह रहा है कि श्रावणी मेला के दौरान डेढ़ से दो लाख श्रद्धालु प्रतिदिन सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर देवघर के लिए 100 किलोमीटर पैदल चल कर  भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग पर जलाभिषेक के लिए पहुंचते रहे हैं। कोरोना महामारी को ध्यान में रखकर प्रशासनिक स्तर पर मेले की तैयारी की योजना बनानी शुरू हो गयी है, पर आर्थिक संकट के बीच मेला कैसी रहेगी इसकी आशंका बनी हुई है। अब तक हो रही मेले में भीड़ को देखते हुए यह भी आशंका बनी हुई है कि क्या शारीरिक दूरी बनाकर मेले में चलना संभव है। शाम के समय तो धक्का-मुक्की की नौबत रहती है। विशेषज्ञों के पूर्वानुमान के अनुसार जाहिर है, कोरोना काल में यह यात्रा पुरानी परंपराओं के अनुसार संभव  नहीं है।  

मेले की तैयारी दो स्तर पर होती है। सड़क, पेयजल, चिकित्सा, बिजली और सुरक्षा की व्यवस्था सरकार की ओर से की जाती है। स्थानीय लोग दुकान लगाते हैं। टेंट या घरों में कांवरियों को रात्रि विश्राम की सुविधा देते हैं। आम तौर पर दो महीने पहले से तैयारियां शुरू हो जाती है। कांवरिया पथ के पांच किलोमीटर के दायरे के स्थानीय लोग श्रावणी मेला की तैयारी उत्सव की तरह करते हैं। भागलपुर, मुंगेर और बांका जिले से गुजरते हुए कांवरिया झारखंड के देवघर जाते हैं। 

सावन का महीना आरंभ होने में अब महज 25 दिन शेष रह गये हैं, सुल्तानगंज से बाबाधाम तक जाने वाले कांवरिया मार्ग पर अबतक कोई गतिविधि शुरू नहीं हुई है। मेला के आरंभ होने से लगभग 2 महीना पूर्व प्रशासनिक स्तर पर तैयारियां आरंभ हो जाती थीं।  इस बार अब तक जिला प्रशासन ने मेले की क्या तैयारी की है, स्पष्ट नहीं हो पाया है।  ऐसा लगता है कि इस बार श्रावणी मेला पर भी कोरोना का ग्रहण लग सकता है। यदि ऐसा हुआ तो इस बार श्रावणी मेला के दौरान होने वाला अरबों रुपए का कारोबार प्रभावित हो जाएगा।

मुंंगेर जिला प्रशासन असरगंज प्रखंड के कमराय से लेकर कुमरसार तक प्रशासनिक स्तर पर मेले की तैयारी करती रही है, पर मेला को लेकर कोई हरकत नहीं दिख रही है। मेला आरंभ होने से पूर्व कच्ची कमरिया पथ पर मिट्टी तथा बालू की भराई की जाती है, पथ के दोनों किनारे पेयजल, शौचालय, स्नानागार, बिजली सहित अन्य सुविधाओं को लेकर काफी पहले से ही तैयारी शुरू हो जाती है। ताकि पैदल चलने वाले कांवरियों को किसी प्रकार की कठिनाई ना हो। इतना ही नहीं कच्ची कांवरिया पथ में पढ़ने वाले धर्मशालाओं की मरम्मत, रंग-रोगन तथा अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने का कार्य काफी पहले से ही शुरू हो जाती है।  ऐसे में शायद इस बार श्रावणी मेला पर भी कोरोना महामारी का संकट लगा रहे।  कच्ची कांवरिया पथ में व्यवसाय करने वाले व्यवसायियों के बीच भी उहापोह की स्थिति बनी हुई है। 

मालूम हो कि श्रावणी मेला के दौरान मुंगेर जिले में पड़ने वाली 26 किलोमीटर की दूरी के अंतर्गत लगभग 2,000 से अधिक छोटी-बड़ी दुकानें तथा होटल सजी रहती हैं। जिसमें एक महीने के दौरान अरबों रुपये का कारोबार होता है। कांवरिया पथ में व्यवसाय करने वाले व्यवसायी श्रावण महीने की कमाई से पूरे साल गुजारा करते हैं तथा अपने आवश्यक कार्यों को भी निपटाते हैं। इस बार यदि श्रावणी मेले का आयोजन नहीं हुआ तो अरबों रुपए का कारोबार पर पानी फिर जाएगा। 

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