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झामुमो प्रदेश अध्यक्ष ने शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरा,
नीतीश कुमार ने शिक्षक को पहरेदार बना दिया : प्रणव, मुंगेर।
झामुमो प्रदेश अध्यक्ष प्रणव कुमार सिट्टू ने शिक्षक और शिक्षा व्यवस्था को लेकर सरकार को घेरते हुए कहा कि जिन्हें पहरेदारी करनी चाहिए सरकार उन्हें सड़कों पर बैठा दिया है और जिन्हें पढ़ाना है उन्हें पहरेदार बना दिया है। उन्होंने कहा कि क्वॉरेंटाइन सेंटर पर शिक्षकों को प्रवासी मजदूरों के बीच कोरोना संक्रमण के संबंध में जागरूकता के लिए लगाया जाता तो एक सकारात्मक पहल होती है, पर शिक्षकों को पहरेदार बनाकर बैठा दिया गया है। उन्होंने कहा कि शिक्षक समाज की सर्वाधिक संवदेनशील इकाई है। शिक्षक अपना काम ठीक तरह से नहीं करते- यह आरोप तो सर्वत्र लगाया जाता है। पर यह विचार कोई नहीं करता कि उसे पढ़ाने क्यों नहीं दिया जाता ? आए दिन गैर-शैक्षिक कार्यों में इस्तेमाल करता प्रशासन, शिक्षकों की शैक्षिक सोच को, शैक्षिक कार्यक्रमों को पूरी तरह ध्वस्त कर देता है। बच्चों को पढ़ाना-सिखाना सरल नहीं होता और न ही बच्चे फाईल होते हैं। प्रशासनिक कार्यालय और अधिकारीगण शिक्षा और शिक्षकों की लगातार उपेक्षा करते हैं। उन्हें काम भी नहीं करने देते। उन्होंने कहा कि बच्चा शिक्षा द्वारा समाज के आधारभूत नियमों, व्यवस्थाओं, समाज के प्रतिमानों एवं मूल्यों को सीखता है। बच्चा समाज से तभी जुड़ पाता है जब वह उस समाज विशेष के इतिहास से अभिमुख होता है। शिक्षा व्यक्ति की अंतर्निहित क्षमता तथा उसके व्यक्तित्त्व का विकसित करने वाली प्रक्रिया है। यही प्रक्रिया उसे समाज में एक वयस्क की भूमिका निभाने के लिए समाजीकृत करती है तथा समाज के सदस्य एवं एक जिम्मेदार नागरिक बनने के लिए व्यक्ति को आवश्यक ज्ञान तथा कौशल उपलब्ध कराती है। सरकार ने मध्याह्न भोजन, साइकिल, पोशाक, छात्रवृति सहित तमाम योजनाओं के माध्यम से बच्चों को विद्यालय की ओर खींचने की कोशिश तो की, लेकिन वह शिक्षा के असल उद्देश्य यानि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के मामले में पूरी तरह नाकाम रही। इसका बड़ा कारण इस व्यवस्था की रीढ़ शिक्षकों की अनदेखी है। उन्होंने कहा कि सरकाार शिक्षा को बैकफुट पर खड़ा कर दिया है। दुकान खोला बच्चों की पढ़ाई की व्यवस्था नहीं की, सरकारी दफ्तर , निजी दफ्तर खोल दिए गए पर स्कूल के कार्यालय खोलने की अनुमति अब तक नहीं दी गई है, इससे साफ पता चलता है सरकार की शिक्षा में कोई अभिरुचि नहीं है।