संग्रामपुर स्पेशल रिपोर्ट

बहनों को याद कर रोता रहा ललन, माता पिता के आने का कर रहा इन्तजार, संतोष कुमार सिंह की रिपोर्ट

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बहनों को याद कर रोता रहा ललन, माता पिता के आने का कर रहा इन्तजार,

संग्रामपुर ।

“हमसे क्या भूल हुई जो ये सजा हमको मिली, चारों ही तरह बंद हैं दुनिया की हर गली” यही गाना चरितार्थ होता नज़र आ रहा है कहुआ में हुई रविवार को हृदय विदारक घटना से रविवार की देर रात संग्रामपुर थानाध्यक्ष क्षेत्र के कहुआ मुशहरी में लगी आग में दादी पोती सहित 3 की मौत ने लोगों के दिलों को हिलाकर रख दिया है।मृतक के घर में छाया रहा अंधकार घर का एक मात्र  दीपक ललन कुमार घर में अकेले अपने बूढ़े दादा बानों मांझी को देखता फिर रो पड़ता वही अपनी बहनों को याद करता तो रो पड़ता हर हाल में ललन का आंसू आंखे से थमने का नाम नही लेता।ललन अब इस इंतजार में है कि दिल्ली से मां और पापा जल्दी से घर आ जाय।हर एक आदमी को कहता है कि कब आयेगा मम्मी पापा, कब शुरू होगा ट्रेन और बस का चलना ।विदित हो की कोरोना जैसे बिमारी से लिपटने के लिए भारत सरकार ने  21 दिन के लिए पुरे भारत में लांकडाउन किया है।लांकडाउन का मतलब ही है कि आप जहाँ है वही रुक जाय।इसी लांकडाउन के कारण ललन कुमार के माता पिता को अपने दो बच्ची और मां के आग में जलकर हुई मौत की खबर सुनकर अपने मां को मुख्यअग्नि नही दे सका तो वही अपने दो पुत्री का दर्शन तक ना कर सका।दिल्ली में फंसे ललन के पिता सल्लो मांझी के आने का इन्तजार कर रहा है।तो वही बुढ़े दादा बानों मांझी ने कहा कि अब हमरा बेटा पोतोह घर आ जतिये ते हमरा के कुछ सहारा मिलतिये खाना बनाय क  त खिलेतिये। यह कहते ही बानों मांझी रोने लगता है। कहता है, है बाबू किसी तरह हमरा बेटा पुतोहु के दिल्ली से बुलाय दे। हमरा और हमरा पोता के के बनाय के खिलेते हो बाबू। दादा और पोता अपने पिछड़े कहानी को कभी याद कर रोता तो कभी पोती की याद कर रोते। रात दिन पिछले बाते या अन्य बात को लेकर दादा पोता रोते रहता।इस लांकडाउन में नजदीक में भी रहने वाला उस दादा पोता को देखने वाला भी नही पहुँच पा रहे है.

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